अंडाल : प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण के निर्माण वनों की कटाई में कमी लाने के उद्देश्य से ईसीएल के बंकोला क्षेत्रीय प्रबंधन ने महती कदम उठाया है। स्पेशल कैंपेन 5.0 के तहत बंकोला में स्थापित सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का उद्घाटन सोमवार को क्षेत्रीय महाप्रबंधक संजय कुमार साहू ने किया। इस प्लांट में भूमिगत खदानों में उपयोग में आने वाले स्लीपर एवं सपोर्ट मैटेरियल्स (रूफ सपोर्ट) का उत्पादन होगा। इस प्लांट की सफलता से लकड़ी के स्लीपर पर निर्भरता में कमी आएगी। अब तक भूमिगत कोयला खदानों के नीचे ट्रैक बिछाने, रूफ सपोर्ट में लड़की के स्लीपर व सपोर्ट मैटेरियल्स का उपयोग होता रहा है। संजय कुमार साहू ने कहा कि बंकोला क्षेत्र की विभिन्न कोलियरियों के अधीन कॉलोनियों, उखड़ा एवं आस-पास के इलाके को प्लास्टिक मुक्त बनाने के उद्देश्य से इस प्लांट का निर्माण क्षेत्रीय प्रबंधन ने किया है। कॉलोनियों एवं आस-पास के क्षेत्र से सिंगल यूज प्लास्टिक संग्रह कर उससे स्लीपर एवं सपोर्ट मैटेरियल्स का उत्पादन होगा। यही नहीं बल्कि इस उत्पाद का उपयोग बाउंड्री वाल के निर्माण में भी किया जा सकता है। यह प्लांट स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजन का जरिया बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रति शिफ्ट करीब 2 दर्जन स्लीपर का उत्पादन होगा। उद्घाटन के मौके पर एजीएम आरकेपी सिंह, एपीएम एस प्रधान, पर्यावरण अधिकारी अर्णव पहाड़ी व अन्य अधिकारियों के अलावा जेसीसी सदस्य नवी रसूल, रामनिवास दुसाद, कृष्णा राय, मुसाफिर हरिजन, प्रद्युत चक्रवर्ती, महंत प्रजापति आदि उपस्थित थे। प्लास्टिक से स्लीपर निर्माण की पद्धति
बंकोला क्षेत्र के पर्यावरण अधिकारी अर्णव पहाड़ी ने कहा कि प्लांट में छह चरणों से गुजरकर प्लाटिक से स्लीपर और सपोर्ट मैटेरियल्स का उत्पादन होगा। बंकोला क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न कॉलोनियों तथा उखड़ा व आस-पास के इलाके से प्लास्टिक युक्त कचड़ा संग्रह कर प्लांट में लाकर मैनुअली उसकी छंटाई कर प्लास्टिक को अलग किया जायेगा। इसके बाद फटका मशीन (क्लीनर) में डालकर सफाई की जाएगी। तीसरे चरण में ड्राई क्लीन्ड प्लास्टिक को ग्राइंडर मशीन में डालकर उसे क्रश कर छोटे -छोटे टुकड़े किये जायेंगे। इसके बाद अग्लोमेरेटर मशीन से डेंसिटी को बढ़ाने के बाद एक्सट्रूडर मशीन में स्लीपर में परिणित किया जायेगा। छठे चरण में उत्पाद को कूलिंग और कटिंग सेक्शन में उत्पाद को अंतिम रूप दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्लांट की क्षमता के अनुसार हर रोज कम से कम 640 किलोग्राम प्लास्टिक की आवश्यकता होगी।