गार्डनिंग बहुत से लोगों का शौक होता है। मेट्रो शहरों में रहकर इस शौक को पूरा करना थोड़ा मुश्किल होता है पर असंभव नहीं क्योंकि मैट्रो शहरों में फ्लैट सिस्टम के होते आप घर के बाहर लाॅन तो बना ही नहीं सकते। बस ग्राउंड फ्लोर वाले लोग इस शौक को आसानी से बरकरार रख सकते हैं, पर घबराइये नहीं। फ्लैट्स में रहकर गार्डनिंग लान के रूप में तो नहीं हो सकती पर गमलों में पौधे लगा कर शौक पूरा किया जा सकता है।
गार्डनिंग के शौक को पूरा करने के लिए पहले कुछ जानकारी एकत्रित कर लें तो थोड़े से पौधों का ध्यान अच्छी तरह रख सकते हैं जैसे कौन सी मिट्टी, कितना पानी, कौन सी खाद और किस मौसम में कौन सा पौधा उग सकता है, इस बारे में जानकारी एकत्रित कर लें । फिर इस बात पर ध्यान दें कि गमले आप बालकनी में कहां रखेंगे और वहां कितनी धूप और हवा आती है।
गार्डनिंग के लिए उचित औजार भी खरीद लें ताकि उनकी कटिंग, रोपाई आदि आसानी से कर सकें। इसके लिए खुरपा, फव्वारा और कटर अवश्य अपने पास रखें। एक छोटा पानी स्प्रे करने वाला पॉट भी रखें ताकि छोटे पत्ते वाले पौधों को साफ किया जा सके। अपने लिए वाटरप्रूफ दस्ताने भी अवश्य रख लें।
गमलों को बाहर से पेंट कर बालकनी में रखें। ऊंचे पौधों वाले गमले पीछे और छोटे पौधे वाले गमले आगे रखें ताकि छोटे पौधे वाले गमले बड़े पौधों के पीछे छिपकर अपनी सुंदरता कम न कर दें। नया पौधा लगाते समय उस गमले की मिट्टी बाहर निकाल कर उसमें खाद मिलाकर गमले में भरें ताकि गमले में नया पौधा आसानी से अपनी जड़ पकड़ सके।
बीच-बीच में सीजनल फूल भी लगाएं ताकि फूलों की सुंदरता का आनंद उठाया जा सके। बस ध्यान दें कि सीजन खत्म होते ही उसमें दूसरे पौधे लगवा लें। कुछ ऐसे पौधे गमलों में लगायें जो सारा साल हरे भरे रहें ताकि आपकी बगिया हरी भरी रहे।
जो भी पौधा लगाने जा रही हैं, उसकी जानकारी लेबल से पढ़ लें। कितनी धूप और कितनी छांव की आवश्यकता है, इस बारे में भी निर्देश पढ़ लें। गमले पौधों की लम्बाई अनुसार खरीदे जाएं और धूप व छाया का ध्यान रखा जाए।
बहुत सारे गमले बालकनी में न भरें। बालकनी टाइट लगती है और पौधों को बढ़ने के लिए उचित स्थान नहीं मिलता। गमलों में भी कुछ दूरी बना कर रखें। यदि आपकी बालकनी साइड में भी है तो कुछ गमले वहां रखें। यदि घर में प्रवेश द्वार के पास एक बालकनी है जिसे वरान्डा भी कहते हैं तो वहां एक कोने में गमलों को रखें। बीच-बीच में गोल पत्थर भी रखें तो बगिया का कार्नर अच्छा लगेगा।
गमलों में लगे पौधों पर पानी फव्वारे से डालें। डिब्बे या पाइप से डालने पर जड़़ों से मिट्टी हट जाती है और पौधे सूख जाते हैं। समय-समय पर खाद डालते रहें ताकि उन्हें खुराक मिलती रहे।
सप्ताह, डेढ़ सप्ताह में गुड़ाई खुरपे से अवश्य करें ताकि नीचे की मिट्टी ऊपर होती रहे और पौधे प्राकृतिक रूप से सांस लेते रहें। ध्यान रखें जिस समय गुड़ाई करें, पानी उसी समय न डालें। कम से कम चार पांच पौधों का अंतराल रखें और शाम को या अगले दिन पानी डालें।
निराई भी करते रहें। सूखे पत्ते, कटे फटे पत्ते, जंगली घास को साथ-साथ निकालते रहें ताकि ये पौधों की खुराक को न खाते रहें। गमले में लगे पौधे सुंदर लगेंगे।
जब पत्ते या टहनियां अधिक बढ़ जाएं तो कटर की सहायता से उन्हें सही आकार देते रहें। अपने मित्रों और संबंधियों से जो गार्डनिंग के शौकीन हों, टिप्स लेते रहें। -सुनीता गाबा(उर्वशी)