कोलकाता: शायद आपको पता नहीं कि आपकी ही जेब में आपका शत्रु छिपा हुआ है। डॉक्टरों के दावे के अनुसार यह शत्रु है- मोबाइल। लंबे समय तक इसका शरीर से ‘टच’ और लगातार बातें करने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक इसके माइक्रोवेव ट्रांसमीटर की सूक्ष्म तरंगें एबसेंट माइंड और अनेक बीमारियों को जन्म देती हैं। मोबाइल से हमेशा ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स’ निकलती रहती हैं। जब कॉल आता है या किया जाता है तो इसकी आवृत्ति तीव्र हो जाती है। मोबाइल से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले भाग कान, दिमाग और हृदय हैं। मोबाइल के अधिक प्रयोग से दिमाग के आंतरिक भाग हॉट स्पॉट हो जाते हैं।
हो सकता है ब्रेन ट्यूमर
लगातार मोबाइल के इस्तेमाल से यही स्पॉट विकसित होकर अल्जाइमर और ब्रेन ट्यूमर का रूप ले लेते हैं। हाल के एक शोध के अनुसार लंबे समय तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल कान और मस्तिष्क को जोड़ने वाली तंत्रिका में ट्यूमर होने की आशंका को दोगुनी कर देता है। मोबाइल पर बात करते समय लोगों का बॉडी पोश्चर बहुत खराब होता है, इससे सरवाइकल स्पांडिलाइटिस की शिकायतें बढ़ी हैं। इसके ज्यादा इस्तेमाल से स्ट्रेस और तनाव भी होता है। इससे अनेक प्रकार की मनोवैज्ञानिक बीमारियां भी हो सकती हैं। अधिक उपयोग से ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। इससे एकाग्रता में कमी आती है। इस पर विदेशों में कई तरह के शोध चल रहे हैं। इस पर निर्भरता बढ़ने से फ्रस्टेशन भी बढ़ता है। ब्रेन की बीमारियों में मोबाइल सीधा प्रभाव डालता है। न्यूरोलॉजिस्ट ट्यूमर आदि के मरीजों को मोबाइल का उपयोग कम करने की हिदायत देते हैं। जिनके हार्ट में पेस मेकर है, उन्हें न तो मोबाइल पर ज्यादा बात करनी चाहिए, न ही बांयीं ओर की जेब में मोबाइल रखना चाहिए। पेस मेकर पहले ही बाहर से हार्ट को इलेक्ट्रिसिटी देता है। अगर इस पर इलेक्ट्रिक रेज निकलें तो शार्ट सर्कट हो सकता है। पैंट की जेब में भी मोबाइल रखने से बचना चाहिए क्योंकि यह नपुंसकता व शुक्राणुअल्पता की आशंका बढ़ाता है। कम उम्र में मोबाइल का इस्तेमाल घातक है अत: बच्चों को अति आवश्यक होने पर ही मोबाइल का उपयोग करने देना चाहिए। साथ ही बड़ों को भी इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए।
इन बीमारियों से रहें सावधान
●कान व मस्तिष्क को जोड़ने वाली तंत्रिका में ट्यूमर
●सरवाइकल स्पांडिलाइटिस
●स्ट्रेस और तनाव
●मनोवैज्ञानिक बीमारियां
●ब्लड प्रेशर में वृद्धि
●एकाग्रता में कमी
●न्यूरोलॉजिकल बीमारियां
● नपुंसकता व शुक्राणुअल्पता