नई दिल्ली: महानिशीथ काल को विशेष महत्व दिया जाता है। इस वर्ष प्रदोष काल घं. 17/19 से घं. 19/52 तक रहेगा। इसमें स्थिर लग्न वृष का समावेश घं. 18/07 से घं. 20/03 तक रहेगा। अमृत चौघड़िया घं. 17/18 से घं. 18/54 तक एवं चरकी चौघड़िया घं. 18/54 से घं. 20/30 तक रहेगी। इस अवधि में अमावस्या, प्रदोष काल, वृष लग्न और अमृत चौघड़िया का शुभ संयोग प्राप्त होगा जो पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इसमें महानिशीथकाल और अमावस्या का पूर्ण संयोग प्राप्त होगा। साथ ही इसी में लाभ की चौघड़िया भी प्राप्त होगी जो घं. 23/42 से घं. 25/18 तक रहेगी। अत: पाठकों को सुझाव है कि देश, काल के अनुसार जो स्थानीय पंडित जी सुझाव दें या स्वयं की परम्परा के अनुसार या जब भी मन उत्साहित हो जाये उसी समय अपने इष्ट देव का स्मरण करते हुए पूजन प्रारम्भ किया जा सकता है। इस पांच दिवसीय महापर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
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