कोलकाता वालों हो जाओ सावधान, शहर में फैल रही ये खतरनाक बिमारी… | Sanmarg

कोलकाता वालों हो जाओ सावधान, शहर में फैल रही ये खतरनाक बिमारी…

कोलकाता : महानगर के घर-घर में फिलहाल कोविड के नये वैरिएंट फ्लर्ट (FLIRT) के अलावा फ्लू औ निमोनिया के मामले देखे जा रहे हैं। इस कारण लोग बुखार से लेकर सर्दी, खांसी और गले में इंफेक्शन की समस्या से पीड़ित हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मौसम में बदलाव के साथ ही सर्दी-गर्मी और ए.सी. की हवा लोगों पर बुरा असर डाल रही है। इन बीमारियों में रिकवरी भी काफी धीमी हो रही है और लोगों को ठीक होने में 2 सप्ताह से अधिक का समय लग जा रहा है।

हर 5 में से एक व्यक्ति को हो रहा संक्रमण

प्रख्यात डॉ. संजय गुप्ताने बताया कि फिलहाल कोलकाता में हर 5 में से एक व्यक्ति को उक्त संक्रमण हो रहे हैं। इनमें कोविड के नये वैरिएंट फ्लर्ट के अलावा इनफ्लुएंजा, एच1एन2 और एच1एन9देखे जा रहे हैं। इस कारण लोगों कोे सर्दी, खांसी और बुखार हो रहा है जिसमें कोविड भी है।

रिकवरी में लग रहा काफी समय

सर्दी भी 5 से 6 दिनों तक रह रही है। इसमें रिकवरी रेट भी काफी धीमी है। डॉ. गुप्ता के अनुसार, लोगों को ठीक होने में 2 सप्ताह या उससे अधिक समय लग जा रहा है। इसमें काफी कमजोरी हो रही है और हाथों व पैरों में कंपकंपी और क्रैम्प की अनुभूति होती है।

इस तरह करें बचाव के उपाय

बेल व्यू अस्प्ताल के इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर राहुल जैन ने बताया, ‘लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के मामले बढ़े हैं। इससे बचाव का उपाय यही है कि धूप से सीधे ठण्ड यानी ए.सी. की हवा में और फिर ए.सी. से सीधे धूप में ना जायें। इसमें सर्दी, खांसी व बुखार के साथ गले में दर्द की समस्या हो रही है।’ वहीं डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि इस तरह के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आ रही है। हालांकि घर पर सही ढंग से इलाज जरूरी है। इसके लिये अपने डॉक्टर से सलाह लेकर एंटीबायोटिक लेना चाहिये। इसके अलावा स्टीम, गार्गल करना जरूरी है। यह याद रखना होगा कि कोविड नहीं गया है और कभी नहीं जायेगा। इस कारण मास्क लगाना आवश्यक है। गत जून महीने के मध्य से यह समस्या शुरू हुई है और हर तरह की उम्र में यह समस्या देखी जा रही है।

मानसून में रखें अतिरिक्त ध्यान

मानसून में कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इस मौसम में अतिरिक्त ध्यान रखना चाहिये। दिशा आई अस्पताल के डॉ. आदित्य प्रधान ने कहा कि इस मौसम में कंजक्टीवाइटिस काफी फैलता है। वायरल फीवर की तरह ही यह एक तरह का संक्रमण है। इसके अलावा कॉर्नियल अल्सर जो कॉर्निया का इंफेक्शन है, उसका खतरा भी बढ़ जाता है। मानसून में धूल और मौसम में बदलाव के कारण एलर्जी के मामले अधिक होते हैं। टेक्नो इंडिया डामा अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. एम. एस पुरकाइत ने कहा कि मानसून के कारण पेट दर्द की समस्या होती है।

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