हुगली : श्रीरामपुर के महेश में प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा रविवार को निकाली जाएगी। प्रभु जगन्नाथ रथ पर सवार होकर बहन सुभद्रा और भईया बलराम के साथ मौसी के घर जायेंगे। हुगली जिले के श्रीरामपुर के महेश में भारत की दूसरी सबसे प्राचीन और बंगाल की सबसे पुरानी रथयात्रा निकाली जाती है। इस वर्ष इस रथयात्रा का 628 वां उत्सव है। मंदिर को रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया गया है। शनिवार को रथ की सजावट का कार्य जारी रहा। रथयात्रा की शुरुआत 1396 ईस्वी में हुई थी। श्रीरामपुर रथोत्सव के प्रमुख पियाल अधिकारी ने इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महान संत श्रीरामकृष्ण परमहंस, उनकी पत्नी माँ सारदा देवी, नाटककार गिरीशचंद्र घोष और साहित्य सम्राट बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने भी महेश की रथयात्रा और मेले का दौरा किया था। संन्यास ग्रहण करने के बाद श्री चैतन्य भी पुरी जाते समय यहां आए थे और यहां पहुंचकर बेहोश होकर गहरी समाधि में लीन हो गए थे। उन्होंने श्रीरामपुर के महेश को “नवनीलाचल” यानी “नया पुरी” का नाम दिया था। महेश की रथयात्रा का उल्लेख बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास “राधारानी” में भी मिलता है, जहाँ राधारानी मेले में आकर रास्ता भटक गई थी। श्रीरामपुर के अलावा बलागढ़ ब्लॉक की गुप्तिपाड़ा की रथयात्रा, धनियाखाली की रथयात्रा, चंदननगर की रथयात्रा और बंडेल इस्कॉन की रथयात्रा प्राचीन हैं। बंडेल रथोत्सव की प्रमुख पल्लवी साव ने बताया कि सीधी रथयात्रा से लेकर उल्टा रथयात्रा तक भोग वितरण किया जायेगा। हजारों की संख्या में प्रभु के भक्त रथ खींचने के लिए उपस्थित रहेंगे। चंदननगर पुलिस कमिश्नर अमित पी जावलगी और हुगली जिला ग्रामीण पुलिस अधीक्षक कामनाशीष सेन ने पुख्त सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।
Jagannath Rath Yatra 2024: कड़ी सुरक्षा के बीच सज गई शोभायात्रा, भ्रमण को तैयार प्रभु जगन्नाथ…
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