रिपोर्ट में आया सामने : कोलकाता में वायु प्रदूषण के कारण हो रही हैं 7.3% मौतें
देश के 10 शहरों में होने वाली मौतों में 7% हो रही हैं वायु प्रदूषण के कारण
तीसरे नंबर पर कोलकाता
कोलकाता : कोलकाता में शॉर्ट टर्म पीएम 2.5 के कारण 7.3% मौत यानी कि हर साल 4,700 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। लैनसेट की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है। इसमें कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ के मानक स्टैंडर्ड से कोलकाता का पीएम 2.5 स्तर अधिक होने के कारण ऐसा हो रहा है। इस कारण कोलकाता में हर रोज होने वाली मौतों में 1.77% की वृद्धि हुई है यानी यहां रोजाना 3.22% लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हो रही है। कुल 10 शहरों में यह सर्वे किया गया है जिनमें अहमदाबाद, बंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी शामिल है। स्टडी में पता चला है कि हर साल इन शहरों में वायु प्रदूषण के कारण 33,000 लोगों की मौत हो रही है।
दिल्ली में सबसे अधिक तो शिमला में सबसे कम मौतें
इस मामले में पहले नंबर पर दिल्ली है जहां 11.5% यानी 12,000 लोग हर साल वायु प्रदूषण के कारण जान गंवा रहे हैं। वहीं वायु प्रदूषण के कारण शिमला में सबसे कम लोगों की जान जा रही है और यहां हर साल 59 यानी 3.7% लोगों की मौत हो रही है। भारत और विदेशों के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह सर्वे किया है। इसमें पता चला है कि उक्त 10 शहरों में पीएम 2.5 का स्तर सुरक्षित स्तर से 99.8% दिन अधिक रही।
10 शहरों में 3.6 मिलियन से अधिक मौतों पर हुआ रिसर्च
शोधकर्ताओं ने 2008 और 2019 के बीच इन 10 शहरों में सिविल रजिस्ट्री से रोजाना मौतों का डेटा प्राप्त किया। प्रत्येक शहर के लिए, इस अवधि के दौरान केवल 3 से 7 साल का दैनिक मृत्यु डेटा उपलब्ध कराया गया था। इन शहरों में कुल मिलाकर 3.6 मिलियन से अधिक मौतों पर रिसर्च की गई। कई शहरों में वायु प्रदूषण डेटा की विरल प्रकृति को देखते हुए, शोधकर्ताओं ने पहले से विकसित मशीन-लर्निंग आधारित एक्सपोजर मॉडल का लाभ उठाया, जो नियामक मॉनिटर, उपग्रहों, मौसम विज्ञान और अन्य स्रोतों से डेटा को मिलाकर उच्च स्तर के साथ पीएम2.5 एक्सपोजर डेटा उत्पन्न करता है।
कम प्रदूषण वाले शहरों में अधिक हुआ खतरा
अध्ययन में सभी 10 शहरों को एक साथ लेने पर पीएम2.5 स्तर में प्रत्येक 10 माइक्रोग्राम/घन मीटर की वृद्धि पर मृत्यु दर में 1.42% की वृद्धि पाई गई। शहरों में बड़ा अंतर था जैसे कि दिल्ली में मृत्यु दर में 0.31% की वृद्धि देखी गई जबकि बंगलुरु में 3.06% की वृद्धि हुई। इससे पता चला कि कम प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोगों में प्रदूषण बढ़ने के कारण खतरा अधिक बढ़ गया है जिस कारण कम प्रदूषित शहरों में मृत्यु दर बढ़ गयी है। सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल के डॉ. सिद्धार्थ मंडल ने कहा, ‘हमारे परिणामों में, हमने देखा कि बंगलुरु और शिमला जैसे शहरों में जहां वायु प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत कम है, वहां अधिक प्रभाव देखा गया।’
सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव के फेलो और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. भार्गव कृष्णा ने बताया कि अध्ययन ने भारत में वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य की समझ में नई जमीन तैयार की है। उन्होंने कहा, ‘यह भारत में अल्पकालिक वायु प्रदूषण जोखिम और मृत्यु के बीच संबंधों का आकलन करने वाला पहला मल्टी-सिटी अध्ययन है, जिसमें वायु प्रदूषण सांद्रता की एक विस्तृत श्रृंखला में फैले शहर और विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्र में स्थित शहर शामिल हैं।’
Kolkata में वायु प्रदूषण की समस्या हुई गंभीर
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