कोलकाता: लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद से बंगाल के कई हिस्सों में हिंसा की खबरें आई। बीते दिन गुरुवार को बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी हिंसा से पीड़ित 200 लोगों को लेकर राज्यपाल से मिलने पहुंचे लेकिन पुलिस ने उन्हें राज्यपाल से मिलने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद विपक्षी उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इस मामले की सुनवाई आज जस्टिस अमृता सिंह करेंगी।
सुवेंदु अधिकारी ने क्या कुछ कहा?
बीते दिन गुरुवार को राज्य पुलिस द्वारा राजभवन में जाने से रोकने के बाद सुवेन्दु अधिकारी का गुस्सा फूट गया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘बंगाल में यह नया है। आजादी के बाद यह पहली बार हुआ जब राजभवन के बाहर रोका गया। नेता प्रतिपक्ष को अंदर नहीं जाने दिया गया। राज्यपाल ने पीड़ितों को बुलाया है, लिखित अनुमति है। मेरे साथ 200 पीड़ित हैं। ऐसा तो आपातकाल में भी नहीं हुआ था। वो (सीएम ममता बनर्जी) सोच रही हैं कि उन्हें 29 सीटें मिल गई हैं तो बंगाल में कोई दूसरी पार्टी नहीं है। लेकिन 2 करोड़ 35 लाख मतदाताओं ने कमल के पक्ष में मतदान किया। विपक्ष के पास इतनी ताकत है मगर वे विपक्ष को खत्म करना चाहते हैं। जनता इनके साथ नहीं है। ये धांधली करके चुनाव जीते हैं।’
सुवेंदु का आरोप है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस की अनुमति के बावजूद पुलिस उन्हें और चुनाव बाद हिंसा से ‘प्रभावित’ लोगों को राजभवन में प्रवेश नहीं करने दी। न्यायमूर्ति सिंह ने उन्हें इस संबंध में मामला दायर करने की अनुमति दे दी थी।
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दरअसल, चुनावी नतीजे जारी होने के बाद से हिंसा से प्रभावित लोगों से बीजेपी नेता लगातार मिल रहे हैं। उत्तरी कोलकाता में बीजेपी ने ‘बेघर’ लोगों के लिए धर्मशालाएं किराए पर ले ली हैं। वहां बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सुकांत मजूमदार पीड़ितों से मिलने पहुंचे। उन्होंने दावा किया, ”तृणमूल आश्रय प्राप्त उपद्रवियों” ने यह सब किया है। हालांकि इनके आरोपों को साफ-साफ इनकार कर रही है। TMC की ओर से इन आरोपों को झूठा बताया गया है।