कोलकाता : हर वर्ष ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन अपरा एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में अपरा एकादशी की महिमा का वर्णन विस्तारपूर्वक किया गया है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती द्वारा जाने और अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक को ब्रह्म वध समेत नाना प्रकार के शास्त्र विरुद्ध कार्य करने से लगने वाले दोषों से भी मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, मृत्यु उपरांत साधक को विष्णु लोक में ऊंचा स्थान प्राप्त होता है। अतः साधक श्रद्धा भाव से अपरा एकादशी तिथि पर व्रत रख विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। हालांकि, तिथि के लेकर व्रती के मन में दुविधा है। कई जगहों पर 02 जून को अपरा एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, कुछ जगहों पर 03 जून को अपरा एकादशी मनाई जाएगी।
आइए, अपरा एकादशी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि 02 जून को प्रातः काल 05 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 03 जून को देर रात 02 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। इस प्रकार 02 जून को अपरा एकादशी मनाई जाएगी।
कब है अपरा एकादशी ?
सनातन शास्त्रों में निहित है कि वैष्णव समाज के अनुयायी नियत तिथि के अगले दिन एकादशी पर्व मनाते हैं। वहीं, सामान्य भक्तजन उदया तिथि गणना के अनुसार एकादशी पर्व मनाते हैं। आसान शब्दों में कहें तो उदया तिथि के अनुसार 02 जून को अपरा एकादशी है। अतः सामान्य लोग (विष्णु भक्त) 02 जून को अपरा एकादशी का व्रत रखेंगे। वहीं, वैष्णव समाज के लोग 03 जून को अपरा एकादशी मनाएंगे।
पारण समय
सामान्य भक्तजन 03 जून को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 10 मिनट पर स्नान-ध्यान, पूजा पाठ कर पारण कर सकते हैं। वहीं, वैष्णव समाज के लोग 04 जून को सुबह 05 बजकर 23 मिनट से लेकर 08 बजकर 10 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं। पारण यानी व्रत तोड़ने से पहले ब्राह्मणों को अन्न और धन का दान अवश्य करें।