डिप्रेशन का शिकार होने से बचने के लिए करें ये काम….. | Sanmarg

डिप्रेशन का शिकार होने से बचने के लिए करें ये काम…..

कोलकाता : जिन्दगी की तेज रफ्तार और आपसी सौहार्द के अभाव में व्यक्ति काफी तनाव और घुटन का अनुभव महसूस कर रहा है। उचित सहयोग और परामर्श के न मिलने पर भी व्यक्ति कुंठा और निराशा का शिकार हो जाता है। कभी-कभी व्यक्ति दूसरों पर इतना आश्रित हो जाता है कि उसे अपना सब कुछ मान बैठता है उससे बड़ी-बड़ी अपेक्षाएं रखना लगता है, लेकिन जब उस व्यक्ति के द्वारा उसकी उपेक्षायें पूरी नहीं हो पाती हैं तो वह कुंठा का शिकार हो जाता है।उसे पूरी दुनिया बेगानी लगने लगती है या कभी-कभी यह होता है कि व्यक्ति कुछ करना चाहता है, आगे बढना चाहता है लेकिन उसके मन में तरह-तरह की आशंकायें घर करने लगती हैं कि कोई क्या कहेगा या हमारे बारे में लोग क्या सोचेंगे। यही सोचकर व्यक्ति अपने कदम वापस खींच लेता है। उसमें कुछ करने का साहस नहीं रह जाता।यदि व्यक्ति कुछ बातों पर गंभीरता के साथ ध्यान दे तो वह आने वाली परेशानियों से बच सकता है :-

● दूसरों को उपदेश देने के बजाय स्वयं पर ध्यान दें।
● जितनी ऊर्जा हम बोलने में खर्च करते हैं, उतनी मौन रहकर बचायी जा सकती है। इसलिए कम से कम बोलने का प्रयास करें।
● व्यक्ति को समय और परिस्थिति के अनुसार स्वयं में परिवर्तन करना चाहिए।
● दूसरों से अपेक्षाएं कम से कम करें चाहें वे भाई मित्र या सगा-सम्बन्धी कोई भी हो।
● जब कोई आपकी शिकायत करें तो आप उस व्यक्ति का चेहरा याद करें जिसने कभी किसी बात पर तुम्हारी तारीफ की थी।
● तुम उस व्यक्ति के साथ कड़ाई के साथ पेश आओ और उससे दूरी बना लो जो तुम्हारी हमेशा ही शिकायत व निन्दा करता हो।
● जितना साधन आपके पास है, उसी का प्रयोग करें।
● सदैव व्यस्त रहें क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
● किसी बात में अनावश्यक हस्तक्षेप न करें, न ही अपनी बात जबरदस्ती दूसरों पर थोपें।
● हमेशा ही भविष्य के बारे में सोचें। जो बीत गया उसके बारे में कदापि न सोचें क्योंकि राह चलते वहीं ठोकरें खाता है जो पीछे मुड़कर देखता है।
● वाणी पर हमेशा नियंत्रण रखेंं।
● स्वाध्याय और ईश्वर चिन्तन करना चाहिए। इससे जीने के लिए शक्ति मिलती है।
● अपने दायित्वों का पालन पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ करें। दूसरे क्या कहते हैं, क्या सोचते हैं उस पर तनिक भी ध्यान न दें।
● सदैव प्रसन्नचित रहें और दूसरों को भी प्रसन्नचित रखें।
● कभी भी अपनी आयु का अनुभव न करें। इससे निराशा बढ़ती है।

Visited 25 times, 1 visit(s) today
शेयर करे
0
0

Leave a Reply

ऊपर