अगर आप भी लेते हैं Antibiotic Tablets तो ये खबर है आपके लिए … | Sanmarg

अगर आप भी लेते हैं Antibiotic Tablets तो ये खबर है आपके लिए …

कोलकाता : कई लोगों की यह धारणा भी होती है कि एंटीबायोटिक दवाइयां नुकसानदायक एवं दुष्प्रभाव पैदा करने वाली ही हुआ करती हैं, इसलिए वे जरूरी होने पर भी इन दवाइयों का प्रयोग नहीं करते मगर यह जानना आवश्यक है कि इन दवाइयों से कतराने पर संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है।
एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध सेवन मौजूदा समय में एक विस्तृत स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। अधिकांश लोग चिकित्सक से परामर्श किए बगैर ही अपनी मर्जी से औषधियों का सेवन कर लेते हैं जिससे वे बीमारी से निजात पाने की बजाय अनेक गंभीर दुष्प्रभावों एवं बीमारियों से घिर जाते हैं। एंटीबायोटिक दवाओं के अनुचित एवं अंधाधुंध सेवन से लोग दस्त, पीलिया, खुजली जैसी समस्याओं के साथ अनेक बीमारियों के शिकार बन सकते हैं।
कैमिस्ट से पूछ कर एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने लगते हैं लोग
आजकल लोग हर किसी तकलीफ में चिकित्सक से सलाह लिए बगैर ही अपने आप या किसी कैमिस्ट से पूछ कर एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने लगते हैं। इससे जीवाणुओं में इन औषधियों के खिलाफ प्रतिरोध क्षमता विकसित हो जाती है और ये एंटीबायोटिक दवाइयां बेअसर हो जाती हैं। कई मरीज तो तीन-चार एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन एक साथ भी कर लेते हैं। यही नहीं, कई चिकित्सक विषाणुओं से होने वाली (वायरल) एवं फंगल (फंगस से होने वाली) बीमारियों में भी मरीज को एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन की सलाह दे देते हैं जबकि इन बीमारियों में एंटीबायोटिक दवाइयों की कोई भूमिका नहीं होती। आमतौर पर वायरल बुखार पौष्टिक आहार एवं आराम करने पर स्वत: ही ठीक हो जाता है। कई रोगी चिकित्सक से स्वयं ही एंटीबायोटिक औषधियों को लिखने का आग्रह करते हैं।
मुंह में हो सकते हैं छाले
एंटीबायोटिक दवाइयों के अधिक सेवन से मुंह में छाले भी उत्पन्न हो सकते हैं। पूरे शरीर में खुजली की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।कई मरीजों की यह धारणा होती है कि उन्हें अधिक शक्तिशाली एंटीबायोटिक दवाइयां अधिक फायदा करेंगी परन्तु वास्तविकता यह है कि कोई भी दवाई अधिक दवाई अधिक या कम शक्तिशाली नहीं होती। जरूरत के अनुसार समुचित औषधियों के इस्तेमाल से ही मरीज को लाभ हो सकता है। कई लोगों की यह धारणा भी होती है कि एंटीबायोटिक दवाइयां नुकसानदायक एवं दुष्प्रभाव पैदा करने वाली ही हुआ करती हैं, इसलिए वे जरूरी होने पर भी इन दवाइयों का प्रयोग नहीं करते मगर यह जानना आवश्यक है कि इन दवाइयों से कतराने पर संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है।जीवाणु-संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक दवाइयां नहीं लेने पर संक्रमण पूरे शरीर में फैलकर ‘सेप्टीसिमिया’ का रूप ले सकता है जिससे गुर्दे एवं अन्य महत्त्वपूर्ण अंग खराब हो सकते हैं। दरअसल, संक्रमण तभी होता है, जब जीवाणु शरीर की रोग प्रतिरक्षण प्रणाली को पराजित कर देते हैं। ऐसे में जीवाणुओं को मारने के लिए एंटीबायोटिक औषधियों का सेवन आवश्यक होता है।एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन से पहले मरीज के रक्त के नमूने का कल्चर करके देखा जाना चाहिए ताकि यह पता लग सके कि किस किस्म का बैक्टीरियल संक्रमण है तथा उस मौसम में कौन-सा जीवाणु अधिक सक्रिय है। आजकल कुछ ऐसी एंटीबायोटिक दवाइयां भी विकसित हो चुकी हैं जिन्हें एक ही बार लेने की जरूरत पड़ती है।
दवाई की कम डोज लेने की सलाह
अक्सर यह भी देखा जाता है कि कई चिकित्सक मरीज को एंटीबायोटिक दवाई की कम डोज ही लेने की सलाह देते हैं लेकिन कई बार इनसे कोई लाभ नहीं होता। दरअसल दवाई की खुराक मरीज की उम्र एवं शारीरिक वजन के हिसाब से ही दी जानी चाहिए।इसके अलावा एंटीबायोटिक दवाई जितने दिन लेने को कहा जाये, उतने दिन अवश्य लेनी चाहिए। अक्सर यह देखा जाता है मरीज ठीक होते ही एंटीबायोटिक दवाई लेनी अपने-आप बंद कर देते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में वह एंटीबायोटिक दवा बेअसर हो जाती है और संक्र मण दुबारा हो सकता है।

 

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