कोलकाता: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ महापर्व मनाया जाता है। छठ महापर्व 4 दिन का होता है और ये 4 दिन छठ मैया और सूर्य देव की उपासना की जाती है। 17 नवंबर से छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है। बता दें कि इस दिन नहाय खाय से इसकी शुरुआत होती है और इसका दूसरा दिन खरना होता है। 18 नवंबर को खरना के दिन व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखता है। मान्यता है कि ये चार दिन अगर सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ आदि किया जाए, तो छठ मैया प्रसन्न होती हैं और व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
बता दें कि छठ व्रत संतान के लिए रखा जाता है। संतान प्राप्ति, संतान की तरक्की और सफलता की कामना करते हुए ये चार दिन पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। व्यक्ति के परिवार पर आ रही मुश्किलें और परेशानियां दूर होती हैं। छठ व्रत का समापन के दौरान छठ मैया की आरती करने मात्र से ही व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
छठ मैया की आरती
छय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय छठी मईया..।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।।जय छठी मईया..।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय छठी मईया..।।
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय छठी मईया..।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।।जय छठी मईया..।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय छठी मईया..।।
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय छठी मईया..।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।।जय छठी मईया..।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय छठी मईया..।।
सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय करें इस मंत्र का जाप
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।