Vaibhav Laxmi Vrat: सिर्फ 8 शुक्रवार कर लें ये एक काम, पैसों से तिजोरी भर देंगी मां लक्ष्मी | Sanmarg

Vaibhav Laxmi Vrat: सिर्फ 8 शुक्रवार कर लें ये एक काम, पैसों से तिजोरी भर देंगी मां लक्ष्मी

कोलकाता : मां लक्ष्मी एक बार किसी इंसान पर मेहरबान हो जाएं तो घर में अन्न-धन के भंडार भर जाते हैं। देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे आसान तरीका है, वैभव लक्ष्मी की उपासना। यह मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से ही एक है।ज्योतिषविद कहते हैं कि वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। घर-परिवार में लक्ष्मी का वास बनाए रखने में यह व्रत विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
वैभव लक्ष्मी को समर्पित व्रत शुक्रवार को रखा जाता है। यह व्रत स्त्री-पुरूष दोनों ही रख सकते हैं। इस व्रत से व्यापार में वृद्धि और धन में बढ़ातरी होती है। व्रत में श्री यंत्र की पूजा विशेष लाभकारी रहती है। वैभव लक्ष्मी की पूजा में विशेष रूप से सफेद वस्तुओं का प्रयोग होता है।
व्रत के नियम
धन की प्राप्ति के वैभव मां लक्ष्मी का व्रत 8 शुक्रवार को रखें। मां लक्ष्मी के अष्ट स्वरूप की उपासना करें या धन लक्ष्मी के स्वरूप की पूजा करें। दिनभर केवल जलाहार या फलाहार रहें। शाम को भी अन्न का सेवन न करें। मध्य रात्रि में मां लक्ष्मी की प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं। “ॐ श्रीं श्रीयै नमः” की 11 माला का जाप करें। मां लक्ष्मी को गुलाब के पुष्प या गुलाब का इत्र समर्पित करें।
पूजन विधि
शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लेने के बाद एक मुट्ठी चावल और जल से भरा हुआ तांबे का लोटा साफ प्लेट में रखें। इसे देवी की प्रतिमा के पास रख दें। देवी को धूप, दीप, सुगंध और श्वेत फूल अर्पित करें। व्रत के दिन खीर से माता को भोग लगाना चाहिए। शुक्रवार व्रत कथा सुनें।
लक्ष्मी व्रत की समापन विधि
व्रत का उद्यापन करने के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक और दक्षिणा दान दें। सायं काल में सूर्यास्त होने के बाद व्रत का समापन होता है। प्रदोषकाल में स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी का व्रत समाप्त करना चाहिए।
श्रीयंत्र का प्रयोग
इस दिन उर्ध्वमुखी श्रीयंत्र का चित्र अपने काम या पढ़ने की जगह पर लगाएं। श्रीयंत्र का चित्र रंगीन हो तो ज्यादा अच्छा होगा। श्रीयंत्र को इस तरह लगाएं कि ये आपकी आंखों के ठीक सामने हो। जहां भी श्रीयंत्र को स्थापित करें, वहां गंदगी न फैलाएं। साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।

 

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