नई दिल्ली: पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के 15 साल बाद बुधवार(18 अक्टूबर) को फैसला आया है। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मर्डर के मामले में 5 आरोपियों को दोषी ठहराया है। दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद अदालत ने ये फैसला सुनाया। बता दें कि इससे पहले 13 अक्टूबर को इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
2009 से न्यायिक हिरासत में हैं आरोपीफरवरी 2010 में शुरू हुए मुकदमे पर फैसला 18 अक्टूबर 2023 को यानी आज आ गया। सौम्या की हत्या के मामले में पांच लोगों रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को गिरफ्तार किया गया था और ये आरोपी मार्च 2009 से न्यायिक हिरासत में हैं। दिल्ली पुलिस ने इन सभी आरोपियों पर मकोका लगाया था।मार्च 2009 में आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मामले में सभी सबूत अदालत के सामने पेश करने में अभियोजन पक्ष को 13 साल से अधिक समय लग गया।
कैसे हुई थी हत्या?
फॉरेंसिक रिपोर्ट से पता चला था कि सौम्या की मौत सिर में गोली लगने से हुई, जिसके बाद हत्या की जांच शुरू हो गई।पुलिस की जांच से पता चला कि सौम्या अपने ऑफिस से देर रात घर लौट रही थी। उसे शक था कि उसका पीछा किया जा रहा है। इसी दौरान एक गोली किसी अन्य चलती गाड़ी से चलाई गई थी। सीसीटीवी फुटेज से इलाके में सौम्या की गतिविधियों को देखा गया और पता चला कि एक मैरून रंग की कार उसका पीछा कर रही थी। इसके बाद मुंबई स्थित अपराध शाखा की टीमों को बुलाया गया और अधिक सबूत इकट्ठा करने के लिए इलाके में गहन तलाशी अभियान चलाया गया। मार्च 2009 में दिल्ली पुलिस ने दो संदिग्धों रवि कपूर और अमित शुक्ला को गिरफ्तार किया।
आरोपी रवि कपूर और अमित शुक्ला ने पूछताछ में सौम्या की हत्या की बात भी कबूल की। जांच में यह भी पता चला कि सीसीटीवी फुटेज में दिखी कार का इस्तेमाल हत्या में किया गया था। जून 2010 में दिल्ली पुलिस ने हत्या में रवि कपूर, अमित शुक्ला और दो अन्य संदिग्धों, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को शामिल करते हुए एक आरोप पत्र दायर किया। सौम्या मामले में मुकदमे की कार्यवाही 16 नवंबर 2010 को साकेत कोर्ट में शुरू हुई थी। लंबी सुनवाई के दौरान हत्यारों की बंदूक से गोलियों का मिलान, निगरानी फुटेज और आरोपी के कबूलनामे सहित प्रमुख फोरेंसिक साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। 19 जुलाई 2016 को साकेत कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी और अगली सुनवाई के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। तब से विभिन्न कानूनी जटिलताओं के कारण फैसले को कई बार टाला गया। लंबी कानूनी लड़ाई और जांच के बाद 18 अक्टूबर 2023 को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ अपना फैसला सुना दिया।