दरअसल लैंड फॉर जॉब यानी नौकरी के बदले जमीन का यह मामला साल 2004 से लेकर 2009 से बीच का है। तब केंद्र की सत्ता में यूपीए-1 की सरकार थी और लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोपों में कहा गया कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए इंडियन रेलवे के ग्रुप डी पदों पर नियमों को ताक पर रखते हुए कई लोगों की नियुक्तियां हुई थीं। इसके लिए न तो कोई पब्लिक नोटिस जारी किया गया और न ही विज्ञापन। इसके एवज में जिन लोगों को नौकरियां मिली थीं, उन्होंने लाभार्थी कंपनी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को अपनी जमीन दे दी थी। फिलहाल सीबीआई ने जो चार्जशीट दाखिल की है, उस पर सुनवाई की कोई तारीख सामने नहीं आई है। 12 जुलाई को यह मामला पहले से ही सूचीबद्ध है।
क्या हैं सीबीआई के आरोप?
लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बड़ी बेटी मीसा और हेमा यादव के अलावा कुछ अन्य लोगों को सीबीआई ने इस केस में आरोपी बनाया है। सीबीआई का आरोप है कि जिन लोगों की रेलवे में भर्ती के लिए जमीनें ली गईं, उनको लालू यादव ने अपने परिजनों के नाम कराया। सीबीआई ने आरोप लगाया कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए 7 अयोग्य कैंडिडेट्स को रेलवे में जॉब दी थी। ईडी ने तो यहां तक कहा था कि कुछ कैंडिडेट्स के आवेदनों को अप्रूव करने में जल्दबाजी की गई। कुछ की एप्लिकेशन्स को तो 3 दिन में ही मंजूरी दे दी गई थी।