एक तो गर्मी का सितम दूसरा ऑनलाइन बिक्री ने बोईपाड़ा के दुकानदारों की परेशानी बढ़ाई ! | Sanmarg

एक तो गर्मी का सितम दूसरा ऑनलाइन बिक्री ने बोईपाड़ा के दुकानदारों की परेशानी बढ़ाई !

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कॉलेज स्ट्रीट में किताबों का बाजार न केवल बंगाल बल्कि देश दुनिया तक प्रसिद्ध है। यहां की किताबों की वैराइटी इसके प्रेमियों को यहां तक खींच लाती है। पूरे साल ही यहां पुस्तकों की ब्रिकी हाेती रहती है मगर इन दिनाें यहां के दुकानदारों के चेहरों पर चिंता की लकीरें हैं। दरअसल, अप्रैल से जून तक यहां किताबों की बिक्री खूब होती है लेकिन इस बार अभी तक ऐसा बाजार हुआ नहीं है। जब इसका कारण पूछा गया तो कई दुकानदारों ने कहा कि एक तरफ काफी गर्मी है, जिससे ग्राहक नहीं आ पा रहे हैं। खासकर दूरदराज के ग्राहकों में काफी कमी आयी है। दूसरी ओर जिस तरह से ऑनलाइन बिक्री बढ़ रही है, उसका भी असर बोईपाड़ा पर जरूर पड़ रहा है। उम्मीद कर रहे हैं कि गर्मी में कमी होगी तो शायद बिक्री बढ़े।
क्या कहना है कॉलेज स्ट्रीट के दुकानदारों का
काॅलेज स्ट्रीट में 30 सालों से किताबों की बिक्री करने वाले मुस्ताख अहमद ने बताया कि अब ऐसा लगता है कि ऑनलाइन की राह पर हमलोगों को भी चलना होगा। हालांकि यहां के कुछ दुकानदारों ने ऑनलाइन बिक्री चालू कर दी है मगर अधिकतर ऑफलाइन में ही बेच रहे हैं। मगर समय की मांग को देखते हुए हमलोगों को भी ऐसा करना होगा। हाल में ही मैंने ऑनलाइन पेमेंट लेना शुरू किया है। अगर यह भी नहीं करेंगे तो दुकानदारी पर असर पड़ेगा। एक अन्य दुकानदार मुजफ्फर अली ने कहा कि अभी ब्रिकी एक चौथाई हो गयी है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। इतनी ज्यादा गर्मी है। साथ ही स्कूल-कॉलेज भी बंद है। दूसरी ओर ऑनलाइन के कारण भी असर पड़ रहा है।
क्या कहना है स्टूडेंट्स का
सेंट जेवियर्स कॉलेज के छात्र प्रथम शर्मा ने कहा कि वह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से ही किताबें खरीदता है। उसने कहा कि वह सिलेबस की किताबें ऑफलाइन खरीदता है जिसमें वो दामों को ज्यादा से ज्यादा कम करवा सकता है जबकि टेक्स्ट बुक, रिव्यू बुक ऑनलाइन एमोजोन से खरीदता है। ये ऑफलाइन लेना मुश्किल होता है। कक्षा दसवीं पास करने वाली एक छात्रा रिशिका द्विवेदी ने कहा कि वह ऑनलाइन ही किताबें ज्यादातर लेती है, चाहे वह एमोजोन से हो या फ्लिपकार्ट।
कहां-कहां उपलब्ध हैं ऑनलाइन किताबें
आज के समय में अधिक से अधिक ऑनलाइन साइट्स पर किताबों की बिक्री होती है। इनमें मुख्य रूप से फ्लिपकार्ट, एमोजोन व कई शामिल हैं। इसके अलावा गूगल पर भी सर्च करने पर कई साइट्स की जानकारी उपलब्ध होती है।
क्या कहना है ऑनलाइन विक्रेताओं का
एक विक्रेता ने बताया कि उनकी साइट्स पर विभिन्न बोर्ड्स, पब्लिसर्स की किताबें उपलब्ध हैं, साइट पर मोबाइल नंबर उपलब्ध है। स्टूडेंट्स या अभिभावक वहां फोन करके किताबों का ऑडर्र देते हैं। कहां और कितने दिनों में डिलीवरी होगी, यह पता पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि राज्यभर से ऑर्डर आते हैं। इन दिनों ऑनलाइन मांग बढ़ी है।

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