कोलकाता: सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए परिवहन मंच ने सुझाव दिया है कि परिवहन विभाग के सहयोग से ड्राइवरों और परिवहन कर्मियों के लिए नियमित रूप से कार्यशालाओं का आयोजन किया जाए। हाल ही में, राज्य ने निजी बसों की रेसिंग रोकने और दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कई कदम उठाने की बात कही थी। परिवहन विभाग ने बताया था कि निजी बसों के परमिट देने के दौरान कुछ शर्तें लागू की जा सकती हैं। सोमवार को ‘जॉइंट फोरम ऑफ ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स’ के प्रतिनिधियों ने परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती से मुलाकात कर बस और सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और ज्ञापन सौंपा। इस मंच में बस, स्कूल वाहन और ऐप-कैब संगठनों के नेता शामिल हैं।
ये है मंच की मुख्य मांगें
- ड्राइवरों के लिए कार्यशालाएं: दुर्घटनाओं को कम करने के लिए ड्राइवरों और परिवहन कर्मियों के लिए नियमित कार्यशालाएं आयोजित हों।
- अवैध पार्किंग और अतिक्रमण: सड़कों को अतिक्रमण-मुक्त किया जाए और अवैध पार्किंग पर सख्ती की जाए।
- एक रूट पर बसों की संख्या कम हो: एक ही रूट पर चलने वाली बसों की संख्या को कम करने और समय सारिणी में सुधार करने की आवश्यकता बताई गई।
‘ऑल बंगाल बस मिनीबस समन्वय समिति’ और ‘सिटी सबर्बन बस सर्विस’ के प्रतिनिधि राहुल चट्टोपाध्याय और टीटू साहा ने कहा कि अगर एक ही समय में एक रूट पर कई बसें चलती हैं, तो इससे यातायात की समस्या और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ती है। परमिट देने में और सावधानी बरतने की जरूरत है।
- 15 साल पुरानी बसों का संचालन: बस मालिकों ने 15 साल पुरानी बसों के संचालन की अवधि बढ़ाने की मांग की और इस पर उच्च न्यायालय जाने की बात कही।
- स्कूल वाहन और ऐप-कैब में उपकरण: स्कूल वाहन और ऐप-कैब संगठनों ने जीपीएस उपकरण लगाने पर आपत्ति जताई है। उनके अनुसार, उपकरण लगाने का सालाना खर्च लगभग साढ़े तीन हजार रुपये होता है, जो वाहन मालिकों के लिए आर्थिक बोझ है।
इस बैठक में सभी संगठनों ने परिवहन क्षेत्र की समस्याओं का जल्द समाधान निकालने की अपील की।
….रिया सिंह