सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कोलकाता मेट्रो का ब्लू लाइन (कवि सुभाष-नोआपाड़ा) सबसे पुराना मेट्रो है। हालांकि इसे पिछले 3 वित्तीय वर्षों में हर साल औसतन 450 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उक्त बातें कही। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ब्लू लाइन को 465.11 करोड़ का नुकसान हुआ है। वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 में 424.24 करोड़ रु. और 2021-22 वित्तीय वर्ष में 487.37 करोड़ रु. का नुकसान ब्लू लाइन मेट्रो को हुआ है।
10 वर्षों में 23,050 करोड़ रु. किये गये खर्च
केवल 10 वर्षों में वर्ष 2014 से 2024 तक 38 कि.मी. मेट्रो लाइन का निर्माण किया गया और इसमें 23,050 करोड़ रु. खर्च किये गये। वहीं 1972 से 2014 तक 42 वर्षों में 5,981 करोड़ रु. की लागत से 28 कि.मी. मेट्रो लाइन का निर्माण किया गया। मौजूदा समय में कोलकाता व उसके आस-पास कुल 59 कि.मी. मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है।
एक नजर इस पर
कॉरिडोर का नाम : न्यू गरिया-दमदम एयरपोर्ट (32 कि.मी.) कवि सुभाष (न्यू गरिया) में ब्लू लाइन को जोड़ेगी।
इतना काम हुआ पूरा : 9.8 कि.मी. (न्यू गरिया-बेलियाघाटा)
बचा हुआ काम : 22.2 कि.मी (बेलियाघाटा-दमदम एयरपाेर्ट)
देरी का कारण : राज्य प्राधिकारियों से ट्रैफिक डायवर्जन में देरी के कारण काम की गति धीमी है।
कॉरिडोर का नाम : जोका-एसप्लानेड (14 कि.मी.)
इतना काम हुआ पूरा : 7.74 कि.मी. (जोका-माझेरहाट)
बचा हुआ काम : 6.26 कि.मी. (माझेरहाट – एसप्लानेड)
देरी का कारण : भूमि अधिग्रहण और राज्य अधिकारियों द्वारा उपयोगिता डायवर्जन संबंधी मुद्दों के कारण कार्य धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।
कॉरिडोर का नाम : नोआपाड़ा-बारासात (18 कि.मी.) जो नोआपाड़ा में ब्लू लाइन से जुड़ेगी।
इतना काम हुआ पूरा : 2.84 कि.मी. (नोआपाड़ा-दमदम कैंटोनमेंट)
बचा हुआ काम : 15.16 कि.मी. (दमदम कैंटोनमेंट-बारासात)
देरी का कारण : दमदम कैंट-माइकलनगर का काम चल रहा है। हालांकि माइकल नगर-बारासात (8.12 कि.मी.) का काम भूमि अधिग्रहण और अतिक्रमण के मुद्दों के कारण रुका हुआ है।
कॉरिडोर का नाम : बरानगर-बैरकपुर (12.5 कि.मी.) जो ब्लू लाइन से जुड़ेगी।
देरी का कारण : कोलकाता नगर निगम की जल पाइपलाइन का स्थानांतरण लंबित होने के कारण कार्य रुका हुआ है।