कोलकाता : हिंदू पंचांग के अनुसार गुरुवार या बृहस्पतिवार का दिन श्री हरि भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करना शुभ माना जाता है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे घर पर सुख-समृद्धि और धन-संपदा बनी रहती है। वहीं इस व्रत के प्रभाव से कुंडली में गुरु ग्रह भी मजबूत होते हैं। गुरुवार का व्रत करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। यदि कुंवारी कन्याएं इस व्रत को करती हैं तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है और शादी में उत्पन्न हो रही बाधाएं भी दूर होती है। यदि आप गुरुवार व्रत करना चाह रहे हैं तो व्रत से जुड़े नियमों को जरूर जानें। गुरुवार व्रत शुरु करने से पहले यह जान लें कि व्रत का संकल्प कितने दिनों के लिए और कब लेना चाहिए। व्रत का उद्यापन कब करना चाहिए।
16 गुरुवार व्रत होता है शुभ
गुरुवार व्रत आप 1, 3, 5, 7, एक साल, आजीवन या संकल्प के अनुसार कर सकते हैं, लेकिन 16 गुरुवार का व्रत करना शुभ माना जाता है। 16 गुरुवार व्रत के बाद इसका उद्यापन कर दें। यदि पुरुष गुरुवार व्रत करते हैं तो वे लगातार 16 गुरुवार व्रत कर सकते हैं। वहीं महिलाएं मुश्किल दिनों (माहवारी) में व्रत को छोड़ सकती हैं। शुद्ध होने के बाद अगले हफ्ते व्रत को पूरा किया जा सकता है।
कब शुरू करें गुरुवार व्रत
गुरुवार का व्रत आप किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर सकते हैं। वहीं अनुराधा नक्षत्र वाले गुरुवार से व्रत की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। इससे बृहस्पति देवता की कृपा प्राप्त होती है, लेकिन पौष माह में इस व्रत की शुरुआत न करें। यदि आप पहले से व्रत कर रहे हैं तो पौष माह में व्रत और पूजन किया जा सकता है, लेकिन पौष माह से व्रत करने का संकल्प नहीं लेना चाहिए।
गुरुवार व्रत के लाभ
गुरुवार व्रत के कथा में इस व्रत के लाभ और महत्व के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार जो व्यक्ति गुरुवार के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और इस व्रत कथा को पढ़ते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर होते हैं सुखों की प्राप्ति होती है।