अब दिल खोल के चावल खा सकते हैं Diabetes Patients | Sanmarg

अब दिल खोल के चावल खा सकते हैं Diabetes Patients

कोलकाता : भारत में चावल लोगों की डेली डाइट का हिस्‍सा है। कभी लोग चावल की बिरयानी तो कभी पुलाव या कभी-कभी खिचड़ी या दाल-चावल बनाकर खाते हैं। हालांकि, डायबिटीज वालों के लिए यह बहुत नुकसानदायक माना जाता है। दरअसल, सफेद चावल का ग्‍लाइसेमिक इंडेक्‍स बहुत ज्‍यादा होता है और ये कार्बोहाइड्रेट से भरपूर हैं। ऐसे में इसे खाने से ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।

इसलिए डायबिटीज में डॉक्टर चावल खाने के लिए मना करते हैं। अगर आप भी चावल के शौकीन हैं, लेकिन परहेज करना पड़ रहा है, तो हम आपको चावल की एक ऐसी किस्‍म के बारे में बता रहे हैं, जिसके सेवन से आपकी डायबिटीज कंट्रोल हो जाएगी।
असम का जोहा राइस
इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी इन साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी ने हाल ही में एक नया अध्ययन किया है। इसमें सामने आया है कि असम में पैदा होने वाला जोहा चावल डायबिटीज को कंट्रोल करने में कारगर है। असम के गारो हिल्‍स में इसकी खेती होती है। इसके सेवन से ब्‍लड शुगर और डायबिटीज को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। बता दें कि असम में इस चावल की पैदावार सर्दियों में होती है और इसे खाने वाले को डायबिटीज और कार्डियोवस्कुलर डिजीज का खतरा कम होता है।

क्‍या कहती है स्‍टडी

स्‍टडी में विशेषज्ञों ने सुगंधित जोहा चावल के न्यूट्रास्युटिकल गुणों का विश्लेषण किया है। इसमें उन्‍होंने पाया कि चावल में पाए जाने वाले दो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड यानी (ओमेगा -6) और (ओमेगा -3) कई फिजियोलॉजिकल कंडीशन को ठीक रखने में मदद कर सकते हैं। इस चावल का उपयोग चावल की भूसी का तेल बनाने के लिए भी किया जाता है। कहते हैं कि जोहा चावल बासमती से कम नहीं है। इसकी खासियत के कारण ही इसे जीआई टैग दिया गया है। कहने को इसकी सुगंध बासमती जैसी नहीं है, लेकिन ये अपने स्‍वाद और खुशबू के लिए पूरे भारत में मशहूर है। यह शाकाहारी और वीगन लोगों के लिए प्‍लांट बेस प्रोटीन का काम करता है।

 

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