गर्भवती महिलाएं होती हैं रुमेटीइड आर्थराइटिस से ज्यादा प्रभावित | Sanmarg

गर्भवती महिलाएं होती हैं रुमेटीइड आर्थराइटिस से ज्यादा प्रभावित

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : गठिया शब्द सुनते ही लोग बिना इलाज के इसे हानिकारक बीमारी मान कर निराश महसूस करने लगते हैं। गठिया का तात्पर्य जोड़ों में दर्द या सूजन से है। गठिया के कई प्रकार होते हैं, लेकिन सभी ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण नहीं होते हैं। किसी बुजुर्ग व्यक्ति के घुटनों में दर्द होने के कारण उन्हें सीढ़ियां चढ़ने या उतरने में काफी कठिनाई होती है। इसे ऑस्टियो आर्थराइटिस कहा जाता है। सूजन संबंधी गठिया के सामान्य प्रकारों में से एक है रुमेटीइड गठिया, जो आमतौर पर प्रौढ़ महिलाओं को प्रभावित करता है। रुमेटीइड गठिया (आरए) एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह एक दीर्घकालिक स्थिति है जहां शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली व्यक्ति जोड़ों पर दबाव तैयार करने लगती है। जिसके कारण मरीज को सूजन और तेज दर्द होता है। आरए मुख्य तर पर छोटे जोड़ों को लक्षित करता है। औम तौर पर सुबह की जकड़न, थकान और मांसपेशियों में कमजोरी इसका मुख्य कारक है। सीएमआरआई, कोलकाता के रूमेटोलॉजी और क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग की डॉ. शौनक घोष ने बताया कि रुमेटीइड गठिया के कारण जोड़ों में दर्द और सूजन आम शिकायत है। अगर बीमारी का इलाज न किया जाए तो मरीज को सूखी आंखें, त्वचा पर चकत्ते और फेफड़ों की समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर गर्भावस्था में रही महिलाओं को यह बीमारी होती है। कुछ ऐसी एंटी-रूमेटिक दवाएं हैं जो गर्भावस्था में उपयोग के लिए सुरक्षित नहीं हैं। रुमेटीइड गठिया से जूझ रही महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाना चाहिए।

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