कोलकाता : सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि यह हाइपोथायरायडिज्म क्या है। सीधा सा उत्तर है – एक रोग है। तकनीकी भाषा में कहें तो यह वह रोग है जिसका कारण टी.एस.एच. स्तर का सामान्य से अधिक बढ़ जाना है, जबकि टी 3,4 का स्तर कम हो जाना। यह हाइपोथायरायडिज्म की तकनीकी परिभाषा है। हम इस जटिल परिभाषा की बारीकियों में नहीं जायेंगे। प्रयत्न करेंगे कि लक्षणों को समझकर हाइपोथायरायडिज्म को समझ लें। देखिये कहीं आप निम्नलिखित लक्षणों के दायरे में तो नहीं हैं। यहाँ लक्षणों की एक लम्बी सूची दी जा रही है-
हाइपोथायरायडिज्म
1- दिन प्रतिदिन मोटो होते जाना। / 2- ठंड महसूस होना
3- टी 3 एवं टी 4 का रक्त में कमना / 4- टी एस एच का बढ़ना
इनके अलावा ये लक्षण भी हैं-
क) शरीर के तापमान का कम रहना (ख) रूखी त्वचा (ग) वजन का बढ़ना (घ) एकाग्रता और स्मरण शक्ति का अभाव, (ङ) थकान (च) सिरदर्द और आधा सीसी (आधे सिर का दर्द) (छ) मासिक धर्म से पूर्व की गड़बड़ियां और उससे संबंधित समस्याएँ, मासिक धर्म से पूर्व स्तनों में दर्द (ज) मासिक धर्म की अनियमितता (झ) अवसाद (ञ) सिर और भौंहों के भी बाल का झड़ना (ट) इच्छाशक्ति में कमी (ठ) हाथों और पैरों का ठंडा रहना (ड) सुस्ती या सिर का हल्का-हल्का सा लगना (ढ) त्वचा संबंधी समस्याएं और संक्रमण (इन्फेक्शन) (ण) चिड़चिड़ापन (त) मामूली आघात का भी चोट बन जाना (थ) वंध्यापन(बांझपन) (द) शुष्कनेत्र या धुंधला दिखना (ध) गर्मी या ठंडा सहन न कर पाना (न) रक्तचाप का कम होना (प)कोलेस्ट्राल का बढ़ जाना (फ) पाचन संबंधी समस्याए (ब) कम या अत्यधिक पसीना आना (भ) जब-तब जुकाम हो जाना या गले का दर्द (म) दमा या एलर्जी (य) बहुत धीरे-धीरे स्वस्थ होना(र) भोजन करने के बाद होने वाले कष्टों का बढ़ना (ल) बार-बार भोजन करने की इच्छा (व) खुजली जैसा अनुभव होना (श) बार-बार होने वाले संक्रमण (ष) कुछ पदार्थों से होनेवाली हानि का बढ़ जाना (स) चिंता और भय के दौरे पड़ना (ह) त्वचा और विशेषतः हथेलियों पर पीलापन (क्ष) कमजोर आवाज आदि।
1) दिन प्रतिदिन वजन का घटना/ 2) गर्मी महसूस होना
3) टी 3 एवं टी 4 का बढ़ जाना/ 4) टी.एस.एच की मात्रा कम हो जाना/ 5) याददाश्त का ह्रास हो जाना।
कैसी होती है थायरॉयड ग्रंथि
थायराइड एक ऐसी समस्या है जिससे पूरे विश्व में बहुत सारे लोग प्रभावित हैं। यह बीमारी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में देखी जाती है। थायरायड ग्रंथि गले में सांस नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में होती है। इसका आकार तितली जैसा होता है। यह ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है।
इस हार्मोन से शरीर की एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता कंट्रोल होती है। थायराइड की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है इसलिए इसकी वजह से शरीर में कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। जब थायराइड ग्रंथि ज्यादा मात्रा में थायराइड हार्मोन बनाने लगती है तो इसे हाइपरथायराडिज्म कहते हैं जबकि हाइपोथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन के स्तर में कमी होती है। महिलाओं में कुछ सामान्य लक्षणों के द्वारा इस बीमारी को पहचाना जा सकता है। अगर सही समय से इस बीमारी का पता चल जाए तो इसका इलाज अच्छी तरह किया जा सकता है।
तेजी से वजन बढ़ना
थायराइड के कारण मेटाबॉलिज्म भी प्रभावित होता है क्योंकि थायरॉक्सिन हमारे मेटाबॉलिज्म को भी कंट्रोल करता है। मेटाबॉलिज्म के प्रभाव के कारण हम जो भी खाते हैं वो पूरी तरह एनर्जी में नहीं बदल पाता और अतिरक्त वसा के रूप में जमा होता रहता है, जिससे वजन बढ़ने लगता है।
कमजोरी और थकान लगना
कमजोरी और थकान भी थायराइड का एक प्रमुख लक्षण है। मेटाबॉलिज्म पर थायरॉक्सिन के प्रभाव से जब खाना पूरी तरह एनर्जी में नहीं बदल पाता, तो शरीर में ऊर्जा की कमी होने लगती है और आपको थकान और कमजोरी शुरू हो जाती है। हालांकि महिलाओं में कमजोरी और थकान का कारण एनीमिया भी हो सकता है। इसलिए अगर आपको ऐसे लक्षण दिखते हैं तो चिकित्सक को दिखाकर जांच करवाएं।
अनियमित पीरियड्स
थायराइड की समस्या होने पर महिलाओं में पीरियड्स की अनियमितता शुरू हो जाती है। कई बार इस वजह से पीरियड्स का इंटरवल बढ़ जाता है और 28 दिन के बजाय पीरियड्स और ज्यादा दिन में होते हैं।
डिप्रेशन
थायराइड की बीमारी के कारण आपको डिप्रेशन भी हो सकता है। अगर थायराइड ग्रंथि कम मात्रा में थायरॉक्सिन उत्पन्न करती है तो इससे डिप्रेशन यानि अवसाद वाले हार्मोन एक्टिव हो जाते हैं। डिप्रेशन की वजह से आपको रात में सोने में भी परेशानी होने लगती है।
सीने में दर्द होना
अगर आपको हाइपरथायरॉइडिज्म हो गया है तो यह कई गंभीर परिणाम ला सकता है। इसके कारण दिल की धड़कन भी प्रभावित होती है और इसकी वजह से धड़कन अनियमित भी हो सकती है। धड़कन की इसी अनियमतता के कारण कई बार सीने में तेज दर्द की समस्या भी हो सकती है।
खाना न खाया जाना
1. थायराइड की समस्या होने पर भूख तेज होने के बावजूद खाना नहीं खाया जाता है और कई बार जरूरत से ज्यादा खाने के बावजूद तेजी से वजन घटता रहता है। इस समस्या का कारण भी शरीर के मेटाबॉलिज्म में असंतुलन है।
सर्दी या गर्मी बर्दाश्त न होना
थायराइड की समस्या में मौसम का प्रभाव हमारे शरीर पर ज्यादा दिखाई देने लगता है। अगर आपको हाईपोथॉयरायडिज्म है तो आपको ज्यादा ठंड नहीं बर्दाश्त होगी और अगर आपको हायपरथॉयरायडिज्म है तो ज्यादा गर्मी नहीं बर्दाश्त होगी।
याददाश्त की समस्या
थायराइड के कारण आपकी स्मरण शक्ति और सोचने-समझने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है। इस कारण से आपकी याददाश्त कमजोर हो सकती है। इसके अलावा थायराइड की समस्या में व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
पेट की गड़बड़ी
थायराइड होने पर पेट की गड़बड़ियां जैसे कब्ज आदि की समस्या शुरू हो जाती है। इसके कारण खाना पचाने में दिक्कत होती है साथ ही इस रोग में खाना आसानी से गले से नीचे नहीं उतरता है। होम्योपैथिक से आप हमेशा के लिये थायरॉइड से छुटकारा आप पा सकते हैं। होम्योपैथी में मुख्य दवाओं जैसे आयोडिनम, थायराइडिनम नेट्रम म्यूर, केलकेरिया आयोड 3x इसके साथ कुछ दिनों तक एलोपैथिक दवा चालू रखें, फिर चिकित्सक के आदेश अनुसार बंद कर दें। इससे आपको कोई भी नुकसान न होगा। रोगी का मानसिक, शारीरिक एवं रोग के परीक्षण के अनुसार औषधियों का चुनाव कर व्यवहार करना चाहिये। इस विधि से स्वास्थ्य लाभ में आशातीत सफलता मिलती पाई गई है। विकारग्रस्त थायरायड ग्रंथि या तंत्र से उत्पन्न जटिल रोग भी इन दवाओं के प्रयोग से दूर हुए हैं। अन्य दवा- फाइटोलैक्का, वैराइटा कार्ब, स्पोन्जिया, पिटुटरी-3x, स्पोन्जिया , पल्सेटिला, एटिम क्रूड, साइलेसिया इत्यादि जो आप चिकित्सक के सलाह पर लिया जा सकता है। होम्योपैथिक चिकित्सा में नेट्रम म्युर, आयोडिन1, थायराइडोनिम, …. इत्यादि औषाधियां हैं जिन्हें अपने निकटतम होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह से ही दवा व्यवहार करना चाहिये। इस बीमारी में रोगी को कभी भी अपने मन से दवा नहीं खाना चाहिये।