गाजियाबाद: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने शनिवार को गाजियाबाद के दुहाई में स्थित आरआरटीएस डिपो पर अत्याधुनिक मेरठ मेट्रो का उद्घाटन किया। यह उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मेरठ में परिवहन प्रणाली में एक क्रांति का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य स्थानीय निवासियों को एक सुरक्षित, तेज़ और आधुनिक गतिशीलता समाधान प्रदान करना है। आपको बता दें कि एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल ने बताया कि मेरठ मेट्रो का उद्देश्य शहर के परिवहन को बेहतर बनाना है, कनेक्टिविटी को बढ़ाना है, और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इस मेट्रो के माध्यम से यात्रा के समय को कम किया जाएगा, यातायात की भीड़ को कम किया जाएगा, और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- कोरिडोर विस्तार: मेरठ मेट्रो 23 किलोमीटर तक फैला है, जिसमें 13 स्टेशन शामिल हैं। इसमें 18 किलोमीटर का एलिवेटेड और 5 किलोमीटर का अंडरग्राउंड सेक्शन है।
- सर्विस टाइम: यह मेट्रो ट्रेन 30 मिनट में पूरा 23 किलोमीटर का सफर तय करेगी।
- ट्रेन डिज़ाइन: ट्रेन की डिज़ाइन गति 135 किमी प्रति घंटा और अधिकतम परिचालन गति 120 किमी प्रति घंटा होगी। इन ट्रेनों को स्टेनलेस स्टील से निर्मित किया गया है, जो ऊर्जा कुशल और पुनर्योजी ब्रेकिंग सिस्टम से लैस हैं। मेरठ मेट्रो की ट्रेनों में आरामदायक कुशन वाली सीटें, वातानुकूलन, लगेज रैक, ग्रैब हैंडल, सीसीटीवी कैमरे, यूएसबी मोबाइल चार्जिंग सुविधाएं, डायनामिक रूट मैप, और अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- सुरक्षा और सुलभता: सभी स्टेशनों पर प्लेटफार्म स्क्रीन डोर (PSD) लगाए जाएंगे। आपातकालीन संचार प्रणाली, अग्निशामक यंत्र, अलार्म, और टॉक-बैक सिस्टम भी ट्रेनों और स्टेशनों में एकीकृत हैं। महिला यात्रियों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष आरक्षित बैठने की व्यवस्था होगी और सभी स्टेशनों और ट्रेनों को सार्वभौमिक रूप से सुलभ बनाया जाएगा।
भविष्य की योजना और विस्तार
20 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का उद्घाटन किया था और पहली नमो भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी। वर्तमान में साहिबाबाद और मेरठ साउथ के बीच 42 किलोमीटर लंबा खंड चालू है, जिसमें 9 आरआरटीएस स्टेशन हैं। पूरा आरआरटीएस कॉरिडोर 2025 तक चालू होने की उम्मीद है।
स्थानीय निर्माण और मेक इन इंडिया पहल
मेरठ मेट्रो की ट्रेनों का निर्माण मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत में किया जा रहा है। मेसर्स एल्सटॉम (पूर्व में बॉम्बार्डियर) को विनिर्माण अनुबंध दिया गया था। इन ट्रेनों को गुजरात के सावली में निर्माण किया गया है और 15 साल तक रोलिंग स्टॉक रखरखाव के साथ बंडल की गई हैं।
इस उद्घाटन के साथ, एनसीआरटीसी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए एक समग्र और निर्बाध सार्वजनिक परिवहन प्रणाली प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
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