कोलकाता : 47वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला का बुधवार को अंतिम दिन था। इस दिन पुस्तक प्रेमियों की भीड़ अन्य दिनों के मुकाबले थोड़ी कम दिखाई दी। 14 दिनों से चल रहा यह मेला लोगों के लिए एक बार फिर पूरे एक साल का इंतजार बन गया। इतने सालों से लगने वाला यह पुस्तक मेला बंगालियों और बंगाल के लिए एक इतिहास से कम नहीं है। कई सालों पहले पुस्तक मेले की शुरुआत कोलकाता पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड द्वारा छोटे पैमाने पर की गई थी और वही आज पूरे दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला बन गया है। बुधवार को मेला परिसर में मरुतृण साहित्य-पत्रिका के ताजा अंक का लोकार्पण हुआ एवं लघु पत्रिका, विनिर्माण (बांग्ला) द्वारा कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। वाणी प्रकाशन और भारतीय भाषा परिषद द्वारा आयोजित समारोह में डॉ. सुनील कुमार शर्मा की तकनीक पर आधारित दो पुस्तकों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा चैटजीपीटी का विमोचन हुआ। साथ ही कई अन्य इवेंट्स का भी आयोजन किया गया था। वहीं पुस्तक मेला के जॉइंट सेक्रेटरी राजू बर्मन ने बताया कि बुधवार को मेले के अंतिम दिन करीब 1 लाख की भीड़ हुई और कहा कि इस साल पुस्तक मेला का बहुत अच्छा रिस्पांस मिला और कहा कि हर साल यह बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल पूरे पुस्तक मेला की अवधि में कुल 22 लाख की भीड़ हुई थी।
मेले में लगी 22 लाख लोगों की भीड़
बता दें कि इस बार 22 लाख से ज्यादा भीड़ हुई और पीछले साल का रिकॉर्ड टूट गया है। साथ ही वहां मौजूदा पुस्तक विक्रेता राकेश सिन्हा जिनकी हिन्दी पुस्तकों की दुकानें हैं, उन्होंने कहा कि इस बार उन्होंने कुल 5000 के करीब पुस्तकें बेची हैं। वह कहानी, उपन्यास, कविता के साथ विभिन्न तरह के हिन्दी पुस्तक रखते हैं। उन्होंने कहा कि वह पुस्तकों पर करीब 30 प्रतिशत तक की छूट दिये हैं। पुस्तक विक्रेता पार्थो देव ने बताया कि वह करीब 5 सालों से पुस्तक मेला में दुकान लगा रहे हैं। मगर पहले के मुकाबले अब बिक्री में बहुत असर पड़ा है और बिक्री 30 प्रतिशत तक घट गई है। उन्होंने कहा कि बीच में ठंड एवं बारिश की वजह से और इस साल गिल्ड की ओर से पुस्तक पर 10% छूट देने के नियम की वजह से पुस्तक बिक्री में बहुत प्रभाव पड़ा है।