कोलकाता : नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन को एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार निकाय ने यूनेस्को की विश्व विरासत सूची ( UNESCO world heritage list) में शामिल करने की सिफारिश की है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने यह जानकारी दी। भारत लंबे समय से पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल के लिए यूनेस्को टैग प्राप्त करने का प्रयास करता रहा है। रेड्डी ने मंगलवार देर रात एक ट्वीट में कहा, ‘‘गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर भारत के लिए अच्छी खबर है। पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन को यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र की सलाहकार संस्था आईसीओएमओएस द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है।’’ फ्रांस स्थित इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (आईसीओएमओएस) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसमें पेशेवर, विशेषज्ञ, स्थानीय अधिकारियों, कंपनियों और विरासत संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं और यह वास्तुकला और विरासत के संरक्षण और वृद्धि के लिए समर्पित है। मंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘यह दुनिया को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत दिखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है। सितंबर 2023 में सऊदी अरब के रियाद में होने वाली विश्व विरासत समिति की बैठक में इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी।’’ यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, शांतिनिकेतन, कोलकाता से 160 किलोमीटर दूर एक विश्वविद्यालयी शहर है जो मूल रूप से रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित एक आश्रम था। वहां कोई भी, जाति और पंथ के भेदभाव के बिना आकर ध्यान कर सकता है। देबेंद्रनाथ टैगोर को ‘महर्षि’ के नाम से भी जाना जाता है जो भारतीय पुनर्जागरण काल के एक प्रमुख व्यक्ति थे।