नई दिल्ली : कारगिल विजय दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को लद्दाख के द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पहुंचे। इस दौरान उन्होंने उन बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने अपने जान की आहुति देकर 1999 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय देश की रक्षा की थी। पीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि ’26 जुलाई को 25वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर प्रधाममंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह कारगिल युद्ध स्मारक का दौरा किया और बलिदान देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि दी। कारगिल विजय दिवस का रजत जयंती समारोह शुक्रवार को द्रास में देशभक्ति के जोश के साथ संपन्न होगा। ‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती वर्ष’ का दो दिवसीय कार्यक्रम गुरुवार को द्रास में शुरू हुआ था। यह आयोजन कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए पराक्रम और बलिदान के सम्मान में किया जा रहा है।
बता दें द्रास में गुरुवार के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सीनियर रिटायर्ड अधिकारी, वीरता पुरस्कार विजेता, भूतपूर्व सैनिक और कारगिल युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों के परिजन शामिल हुए। अधिकारियों ने बताया कि कल के समारोह का मुख्य आकर्षण ‘लामोचेन व्यू पॉइंट पर युद्ध की यादें ताजा करना’, ‘विजय भोज’ और ‘शौर्य संध्या’ था।
कारगिल युद्ध की यादें ताजा
दरअसल, द्रास के लामोचेन व्यू पॉइंट पर कारगिल युद्ध के वीरों को याद करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट के प्रदर्शन से हुई, जिसके बाद युद्ध का ऑडियो-विजुअल वर्णन किया गया, जिसमें पहाड़ों पर हुए युद्ध के दृश्यों को जीवंत रूप से दिखाया गया। इसके बाद युद्ध नायकों की यादें ताजा की गईं, जिसमें भारतीय सैनिकों की बहादुरी, अदम्य साहस और उत्साह को जीवंत किया गया। इस कार्यक्रम में युद्ध नायकों और युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद सैनिकों की पत्नियों और माताओं ने भाग लिया। जनरल वी पी मलिक (सेवानिवृत्त) इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, उनके साथ अन्य परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र पुरस्कार विजेता भी थे।
जवानों ओर शहीदों के परिजनों का हुआ सम्मान
वहीं जवानों और उनके परिवारों और अन्य सम्मानित अतिथियों को सम्मानित करने के लिए ‘गौरवमयी संस्कृति’ समारोह आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में न केवल लद्दाख बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया गया। यह सभी भारतीयों की जीवंत संस्कृति, राष्ट्रीय भावना और देशभक्ति का प्रतिबिंब था, जो हमारे राष्ट्र को परिभाषित करने वाली एकता की याद दिलाता है।