… तो क्या कल जागेंगे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ? | Sanmarg

… तो क्या कल जागेंगे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ?

– स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश देसाई ने क्या कहा
नई दिल्ली : देश में सभी की निगाहें चंद्रयान-3 मिशन पर हैं, क्योंकि इसरो आज विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को सक्रिय करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन यह प्रक्रिया आज नहीं हो सकी। इस संबंध में चंद्रयान-3 पर स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि पहले हमारी योजना थी कि 22 सितंबर शाम तक (प्रज्ञान) रोवर और (विक्रम) लैंडर को फिर से सक्रिय करें। लेकिन कुछ कारणों से अब हम ये कल 23 सितंबर को करेंगे। लैंडर और रोवर को स्लीप मोड से निकालने और फिर से सक्रिय करने की योजना है…”
स्लीप मोड में डाल दिया गया था
बता दें, चंद्रमा पर सुबह होने के साथ, इसरो अब अपने चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के सौर ऊर्जा से संचालित लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ संचार को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहा है और उन्हें सक्रिय किया जा सके, ताकि वे वैज्ञानिक प्रयोगों को जारी रख सकें। पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह पर चंद्र रात्रि शुरू होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों को इस महीने की शुरुआत में क्रमशः 4 और 2 सितंबर को स्लीप मोड में डाल दिया गया था।
जानिए ‘प्रज्ञान और विक्रम’ के लिए बड़ी चुनौती
‘प्रज्ञान और विक्रम’ के लिए बड़ी चुनौती -200 डिग्री सेल्सियस तापमान में सक्रिया रहने के बाद एक्शन में वापस आना होगा। यदि जहाज पर लगे उपकरण चंद्रमा पर कम तापमान से बच जाते हैं, तो मॉड्यूल वापस एक्टिव मूड में आ सकते हैं और अगले चौदह दिनों तक चंद्रमा से जानकारी भेजने के अपने मिशन को जारी रख सकते हैं। यदि चीजें योजना के अनुसार चलती हैं, तो कमांड रोवर में फीड होने के बाद रोवर चलना शुरू कर देगा। बाद में यही प्रक्रिया लैंडर मॉड्यूल पर भी दोहराई जाएगी। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर इसरो के पूर्व चेयरमैन के सिवान ने कहा, “हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा। यह चांद पर एक रात गुजार चुका है। अब वहां दिन शुरू हो गया है इसलिए अब वे जागने की कोशिश करेंगे। अगर सभी प्रणालियां ठीक काम करने लगे तो सब ठीक होगा।”
कहानी का अंत नहीं
उन्होंने कहा कि यह अंत नहीं है और भी बहुत कुछ नया विज्ञान आएगा। अभी भी चंद्रयान-1 का डेटा बहुत सारी खोजें लेकर आया है इसलिए मुझे उम्मीद है कि बहुत कुछ नया आएगा, वैज्ञानिक प्रयास करते रहेंगे। यह कहानी का अंत नहीं है। इसरो के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर ने भी कहा, “विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर लगभग दो हफ्ते से डीप स्लीप में हैं। यह लगभग फ्रीजर से कुछ जांचने और फिर उसका उपयोग करने की कोशिश करने जैसा है। तापमान -150 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो गया होगा।” उन्होंने कहा कि उस तापमान पर बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स कैसे जीवित रहते हैं यह वास्तव में चिंता का विषय है। बेशक, यह स्थापित करने के लिए जमीन पर पर्याप्त परीक्षण किए गए हैं कि यह ऐसी स्थिति के बाद भी काम करेगा। फिर भी हमें अपना ध्यान रखना होगा और सबकुछ सही होने की दुआ करनी होगी।
बढ़ाना चाहिए बजटीय आवंटन
लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने गुरुवार को भाजपा पर चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि सरकार को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाना चाहिए। कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने आरोप लगाया कि भाजपा यह दावा करके तीसरे चंद्रमा मिशन की सफलता का राजनीतिकरण कर रही है कि सब कुछ 2014 के बाद किया गया है। उन्होंने कहा कि यह जवाहरलाल नेहरू थे जिन्होंने ‘वैज्ञानिक स्वभाव’ शब्द गढ़ा था जो अब दुनिया भर में उपयोग किया जाता है, उन्होंने दावा किया और मांग की कि सभी लोकसभा क्षेत्रों में एक लघु विज्ञान संग्रहालय और विज्ञान केंद्र होना चाहिए।

 

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