Sanmarg Exclusive : उत्तर कोलकाता में इस बार है प्रतिष्ठा की लड़ाई | Sanmarg

Sanmarg Exclusive : उत्तर कोलकाता में इस बार है प्रतिष्ठा की लड़ाई

कोलकाता : सातवें चरण का चुनाव कल यानी 1 जून को है। कई मायनों में बंगाल की राजनीति के लिये अंतिम चरण का यह चुनाव काफी अहम है। इस अंतिम चरण के चुनाव में जिन 9 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं, उन पर तृणमूल का एकाधिकार है। तृणमूल के इन एकाधिकार वाले क्षेत्रों में इस बार भाजपा ने कड़ा प्रहार करने की तैयारी कर ली है। इन 9 सीटों में से प्रतिष्ठा की सीट बन गया है उत्तर कोलकाता लोकसभा क्षेत्र। इस बार उत्तर कोलकाता की चुनावी लड़ाई काफी दिलचस्प होने वाली है। उत्तर कोलकाता के उम्मीदवारों की खास बात यह है कि तीनों ही किसी समय में कांग्रेस से जुड़े रह चुके हैं। तृणमूल ने यहां से अपने पुराने दिग्गज सुदीप बंद्योपाध्याय को उतारा है तो वहीं भाजपा ने टीएमसी से आये वरिष्ठ नेता तापस राय को टिकट दिया है। वहीं वाम-कांग्रेस गठबंधन ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य को उम्मीदवार बनाया है। यहां से तीनों ही दिग्गज चुनावी मैदान में हैं, लेकिन लड़ाई मुख्य रूप से भाजपा और तृणमूल के बीच मानी जा रही है। इसका कारण है कि तापस राय काफी समय से सुदीप बंद्योपाध्याय के आलोचक रहे हैं और टीएमसी में रहते हुए उन्होंने अपना एक वोट बैंक भी बना लिया है। हालांकि यह वोट बैंक सुदीप बंद्योपाध्याय के आगे कितना काम कर पायेगा, यह कहना मुश्किल है क्योंकि उत्तर कोलकाता से सुदीप बंद्योपाध्याय की जीत का रिकॉर्ड अब तक कोई नहीं तोड़ पाया है।

एक नजर उत्तर कोलकाता पर

यह लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बंगाल के सबसे युवा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जिसका गठन 2008 में परिसीमन के बाद हुआ था। हालांकि यह महानगर के कुछ सबसे पुराने इलाकों में फैला हुआ है जिसमें ब्रिटिश राज के ह्वाइट टाउन के साथ-साथ ब्लैक टाउन भी शामिल है। इसके 7 विधानसभा क्षेत्रों में चौरंगी, इंटाली, बेलियाघाटा, जोड़ासांको, श्यामपुकुर, मानिकतला और काशीपुर-बेलगछिया शामिल हैं। सभी विधानसभा क्षेत्रों पर तृणमूल का कब्जा है। उत्तर में काशीपुर से दक्षिण में तपसिया तक फैले इस लोकसभा क्षेत्र में लगभग 23% अल्पसंख्यक, लगभग 33% हिन्दीभाषी, लगभग 2% अन्य अल्पसंख्यक समुदाय जैसे कि सिख, बौद्ध और क्रिश्चियन हैं। लगभग 5.5% अनुसूचित जाति और 0.5% से भी कम अनुसूचित जनजाति के मतदाता हैं। बाकी बांग्लाभाषियों के वोट हैं।

तापस को पुराने मित्रों तो सुदीप को है संगठन पर भरोसा

तापस राय काे अपने पुराने मित्रों पर भरोसा है। सूत्रों की मानें तो टीएमसी में उनके कुछ ऐसे मित्र हैं जिनसे आज भी उनके अच्छे संपर्क हैं। हालांकि ये संपर्क भाजपा को कितना लाभ पहुंचा पाते हैं, यह तो 4 जून को नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा। वहीं तृणमूल के सुदीप बंद्योपाध्याय को पार्टी के संगठन पर भरोसा है।

कुछ ऐसा था पार्टियों का वोट शेयर

3 साल पहले 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-वाममोर्चा को केवल 8% वोट मिले जबकि तृणमूल को 58.7% और भाजपा काे 29.6% वोट मिले थे। इस लोकसभा क्षेत्र में कोलकाता नगर निगम के 60 वार्ड आते हैं, इनमें से 20 वार्डों में भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में लीड मिली थी, लेकिन केएमसी चुनाव में केवल 3 वार्ड ही भाजपा को मिले जिनमें दो जोड़ासांको और एक चौरंगी विधानसभा में हैं। कांग्रेस और वाममोर्चा को एक भी वार्ड से जीत नहीं मिली।

 

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