‘पैसे के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूं। मैंने पिछले चुनावों में बूथ कैप्चरिंग की थी। ऐसे ऑपरेशन्स की लागत हर बूथ पर अलग-अलग होती है। बूथ के आकार के आधार पर यह 1-2 लाख से 5-10 लाख तक भी बढ़ सकती है। कश्मीर में जब उम्मीदवारों को पता चलता है कि वे चुनाव हार रहे हैं, तो वे पत्थरबाजी का सहारा लेते हैं। वे युवाओं को पत्थर फेंकने के लिए नियुक्त करते हैं, जिसके बाद उनके समर्थक बूथों पर कब्जा कर लेते हैं।’
यह बातें बूथ कैप्चरिंग सहित चुनाव प्रबंधन में माहिर कश्मीरी सामाजिक कार्यकर्ता और एजेंट एजाज अहमद डार ने कहीं, जो उम्मीदवारों को गारंटी से जीत दिलाने का वादा करता है। एजाज ने अतीत में कई चुनावों में परिणामों को प्रभावित करने के लिए अपने बाहुबल का इस्तेमाल किया था।
जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों के लिए मतदान पांच चरणों में होगा, जो 19 अप्रैल से शुरू होकर 20 मई को समाप्त होगा। इसके अलावा लद्दाख क्षेत्र की एकमात्र लोकसभा सीट पर भी उसी दिन मतदान होगा। केंद्र शासित प्रदेश में चुनावी हिंसा का इतिहास रहा है। सन् 2017 में श्रीनगर लोकसभा उप चुनाव में सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान 8 लोगों की जान चली गयी। 7.14 फीसदी निराशाजनक मतदान दर्ज किया गया। सन् 2019 में जम्मू और कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (JKPCC) ने मतदान के दौरान देवर लोलाब इलाके में PDP नेता अब्दुल हक खान के समर्थकों द्वारा बूथ कैप्चरिंग का जोरदार विरोध किया गया।
अब जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में चुनाव कराना निर्वाचन आयोग की प्रमुख चुनौतियों में से एक है। इसी कारण जम्मू और कश्मीर में लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव नहीं होंगे, बाद में होंगे।
हार का अंदेशा होने पर पत्थरबाजी करवा बूथ कैपचरिंग की साजिश
हमारे रिपोर्टर ने खुद को ग्राहक बताते हुए जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ रहे एक काल्पनिक उम्मीदवार के लिए चुनाव अभियान का प्रबंधन करने के लिए एजाज के साथ सौदा किया। वह इस सौदे के लिए कश्मीर से चलकर दिल्ली आया। एजाज ने उम्मीदवार की जीत का भरोसा दिलाया। उसने यह भी बताया कि, ‘कश्मीर में यदि किसी उम्मीदवार को लगता है कि वह हार रहा है, तो वह समर्थकों को निर्देश देगा कि वे सुरक्षाबलों का ध्यान भटकाने के लिए पत्थर फेंकना शुरू कर दें, जिससे संभावित बूथ पर कब्जा हो सके।’
रिपोर्टर : कितना पैसा खर्च हो जाएगा उसमें?
एजाज : उसमें तो काफी पैसा लगेगा और कश्मीर की अगर बात करें, …वहां पर एक मसला ये भी होता है कि आराम से अगर किसी को लगता है कि यहां पर हम नहीं जीत पाएंगे, तो वहां पर पत्थर, …स्टोन पेल्टिंग (पत्थरबाजी) करवाके… बूथ कैप्चरिंग…।
रिपोर्टर : स्टोन पेल्टिंग करवा के बूथ कैप्चरिंग? …लेकिन मुझे गारंटी दो, काम हो जाएगा?
एजाज : हां; हो जाएगा। …आराम से हो जाएगा।
अब ऐजाज ने कश्मीर की प्रमुख राजनीतिक पार्टी का नाम लिया, जिसके लिए उन्होंने 2014 के चुनाव में बूथ कैप्चरिंग आयोजित करने का दावा किया। कश्मीर में अब तक हुए लगभग हर चुनाव की यह विशेषता रही है।
पैसा दो, बूथ कैप्चर…
रिपोर्टर : किस पार्टी के लिए?
एजाज : xxxx के लिए।
रिपोर्टर : स्टोन पेल्टिंग (पत्थरबाजी) करवाके?
एजाज : हां; ये सब तो चलता है वहां पर। …ऐसा कुछ नहीं है।
रिपोर्टर : 2014 में? …कितना पैसा लगा उसमें?
एजाज : उसमें बहुत सारा पैसा लगा; …लाखों में उसमें पैसे लगे हैं, एक-एक जगह के।
रिपोर्टर : बूथ आप कैप्चर करवाओगे, पुलिस आपको अरेस्ट नहीं करेगी?
एजाज : वो है ना! लड़के बन्द हो जाते हैं; …वो पैसों के लिए होते हैं। …उनको पता होता है।रिपोर्टर : उनको कितना-कितना पैसा मिल जाता है?
एजाज : एक तो उनको छुड़वाने के पैसे, …उनको जो लगते हैं। …गारंटी लेनी पड़ती है वहां पे; …छुड़वाने के लिए पैसा जितना लगेगा, वो हम देंगे।
रिपोर्टर : जो पॉलिटिशियन हैं, वो ही गारंटी लेते हैं?
एजाज : हां।
रिपोर्टर : आप जिम्मेदारी किस चीज की ले सकते हैं? ये बताएं।
एजाज : देखिए भाई! मैं आपको क्लियर बोलता हूं, …जहां पर पैसे होंगे, वहां पर मेरे को कुछ भी बोलो, …मैं करूंगा।
रिपोर्टर : लेकिन अब स्टोन पेल्टिंग वगैरह तो बन्द हो गयी सब, …कश्मीर में?
एजाज : …हा..हा…हा (हंसते हुए)। …फिर से करानी है, तो बोल दीजिए। इसमें क्या? …पैसे लगते हैं। पैसे दे दो, फिर स्टार्ट। …पैसे आने बन्द हो गये…।
रिपोर्टर : लड़के भी तो बन्द हैं फेंकने वाले?
एजाज : कहां बंद हैं? …किसने कहा बन्द हैं?लड़के तो हैं साथ में, उनको तो आदत ही है। …साल में वो नौ महीने तो जेल में रहते; …तीन महीने बाहर। …वो तीन महीने काम करेंगे, एक साल के बराबर…।
रिपोर्टर : किस चीज से कमाते हैं वो?
एजाज : पैसे लेकर स्टोन पेल्टिंग वगैरह। …साल भर बैठो, तीन महीने कमाओ। …ये तो काम है ना उनका, …उनका रोज का है। अगर वो जेल नहीं जाएंगे, तो पैसे कहां से आएंगे?
रिपोर्टर : जेल से पैसे कैसे आते हैं?
एजाज : पहले से ही लेकर रखते हैं, उनको पता है 6 मंथ्स के लिए जाना है या 9 मंथ्स…। एक साल के लिए जाना है, दो साल का कमा लिया; …चले जाएं जेल आराम से।
पैसा दो तो बूथ कैप्चर करने को तैयार
रिपोर्टर : कितना खर्चा आ जाएगा एक बूथ का?एजाज : एक-एक लाख, …दो-दो लाख।
रिपोर्टर : एक बूथ का?
एजाज : हां; कहीं-कहीं 5 लाख, 10 लाख भी होगा। …डिपेंड करता है, बूथ कितना बड़ा है?
रिपोर्टर : अच्छा; कितने बूथ असेंबली इलेक्शंस में आप कैप्चर करवा सकते हैं, …हमारे लिए?
एजाज : मैं साउथ की बात करूं? मुझे लगता है, वहां कोई भी ऐसा बूथ नहीं होगा, जहां पर हमारा कंट्रोल न हो।रिपोर्टर : बूथ कैप्चर हो जाएंगे सही से?
एजाज : हमारे एनजीओ हैं ना! वहां से लड़के आते हैं।जो हमसे जुड़े हैं। …जिनको हम हेल्प देते हैं। …काफी मेहनत लगती है बूथ कैप्चर करने में।
ऐसे कराए जाते हैं बूथ कैप्चर
रिपोर्टर : किस चीज पर खर्चा आता है ये?
एजाज : वहां पर पहले आता है कि वोटर कितने हैं? …मान लो 100 वोटर हैं। अब एक अंदाजा होता है अपना कि 10 में से हमारे कितने वोटर्स हैं? …अगर इसमें हमें लगे कि हमारे कम वोटर्स हैं; …क्या हम उनको खरीद सकते हैं फिर? अगर खरीद नहीं पाए, तो वहां पर हम क्या करें, ताकि वो वोटर वहां पर न जा पाएं।
रिपोर्टर : उसके लिए क्या करते हैं आप?
एजाज : उसके लिए स्टार्ट होती है स्टोन पेल्टिंग। …स्टोन पेल्टिंग; दो-तीन लड़के हायर किये, उन पर खर्चा आता है- लाख, 1.5 लाख, दो लाख।
रिपोर्टर : दो-तीन लड़कों पर?
एजाज : हां; ज्यादा भी आ जाता है। मान लो कोई लड़का एक लाख लेगा, और बोलेगा हालात खराब हो जाएंगे; …मैं जेल जाऊंगा। दूसरा मुझे छुड़ाना है। कम-से-कम 6 महीने तो उनके लगने हैं अंदर। …और उन 6 महीनों के लिए मुझको एक लाख, 1.5 लाख चाहिए; …जो मुझे मिलना चाहिए। फिर वो भी हो जाता है; …शाम को वोटिंग बन्द। वो भी सामने आ जाता है।
रिपोर्टर : तो आप बूथ कैप्चरिंग में स्ट्रांग हो?
एजाज : बूथ कैप्चरिंग, लोगों को खरीदना। …वो भी हम कर सकते हैं। …आराम से कर चुके हैं हम।
रिपोर्टर : आप इलेक्शन में क्या-क्या करते हैं और क्या-क्या कर सकते हैं?
एजाज : इलेक्शन में आप कैंपेनिंग करवा सकते हैं। …लोगों को जुड़वा सकते हैं। वोट को इधर-उधर करवा सकते हैं।
रिपोर्टर : वोट को इधर-उधर कैसे करवाओगे?
एजाज : पैसे देकर लोगों को। …पैसे या कोई लालच; या जो कुछ भी, …जो मांग हो, वो सब करके।
रिपोर्टर : कितना पैसा खर्च हो जाएगा उसमें?
एजाज : अगर कहीं पे जब भी करना पड़ेगा धरना वगैरह। …कोई अपना होता है नेता, बंद हो जाता है; …या एक्शन लिया जाता है तब, उसको छुड़वाने के लिए प्रोटेस्ट; …वो भी करवा सकते हैं।
रिपोर्टर : शराब वगैरह, पैसे बांटना?
एजाज : हां; पैसे तो बांटे हैं। एक हजार, दो-दो हजार दिये हैं।
रिपोर्टर : शराब?
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एजाज : शराब नहीं चलती वहां।
रिपोर्टर : वहां ड्रग्स वगैरह चलती है क्या?
एजाज : चलती है। …बहुत ब्राउन शुगर है वहां पर। जब एजाज से पूछा गया कि वह किस राजनीतिक दल से जुड़ा है? तो उसने ने जवाब दिया कि वह उन पार्टियों से जुड़ा हैं, जो उसे पैसे देती हैं। उसने कहा कि वह विचारधारा के आधार पर खुद को किसी विशेष पार्टी के साथ नहीं जोड़ता है, बल्कि उसके लिए पैसा ही प्राथमिकता है।
संक्षेप में ‘सन्मार्ग’ एसआईटी की जांच ने बूथ कैप्चरिंग की कड़वी सच्चाई को उजागर किया है, जो चुनावी धोखाधड़ी का एक स्पष्ट रूप है और लोकतंत्र को कमजोर करता है।
इस अनैतिक प्रथा को बूथ लूट के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें किसी विशिष्ट उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के वफादारों या भाड़े के अपराधियों द्वारा मतदान केंद्रों पर हेर-फेर का खेल शामिल है। यह न केवल वैध मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करता है, बल्कि यह मतदाता दमन का एक गंभीर रूप भी है। इस पर कड़ाई से रोक लगनी चाहिए।
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