– समीक्षा के लिए 10 केंद्रीय सचिवों का समूह गठित
– समूह सुझायेगा योजना को और अधिक आकर्षक बनाने के तरीके
– सेना भी कर रही ‘आंतरिक मूल्यांकन’
बताया जाता है कि सेना भी ‘अग्निपथ योजना’ को लेकर आंतरिक मूल्यांकन कर रही है। सेना इसमें बदलावों पर भी चर्चा कर रही है। इस चर्चा में अग्निवीरों के प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाना और प्रशिक्षण पूरी हो जाने के बाद मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 60-70 प्रतिशत करना और और विशेष बलों सहित तकनीकी और विशेषज्ञ सैनिकों के लिए लगभग 75 प्रतिशत कर अग्निवीरों को ही आगे मौका देने के नियमों में बदलाव करना शामिल है। अभी इसकी सिफारिशें नहीं की हैं।
नयी दिल्ली : सरकार ने विवाद का मुद्दा बनी ‘अग्निपथ योजना’ की समीक्षा के लिए 10 केंद्रीय सचिवों का समूह बनाया है। तीनों सेनाओं की तरफ से भी इस योजना की समीक्षा की खबर है। ऐसे में इस विवादित योजना में बदलावों की संभावना बन रही है।सूत्रों के अनुसार सचिवों का यह समूह ‘अग्निपथ योजना’ के जरिये सैनिकों की भर्ती को और अधिक आकर्षक बनाने के तरीके सुझायेगा। सचिवों का समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन से लौटने के बाद उन्हें अंतिम प्रस्तुति देगा जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय इसमें सुधार के लिए जरूरी कदम उठा सकता है।चुनावी मुद्दा : मोदी सरकार में 2022 में शुरू हुई योजना का शुरू से ही विरोध हो रहा है। लोकसभा चुनाव में भी ‘अग्निपथ योजना’ का विरोध विपक्ष का अहम मुद्दा रहा। िवपक्षी गठबंधन ने घोषणापत्र में कहा था कि उनकी सरकार आयी तो ‘अग्निपथ’ खत्म कर देंगे।‘अग्निपथ योजना’ की समीक्षा राजग के 100 दिवसीय एजेंडे का भी हिस्सा है। राजग सरकार में शामिल जदयू ने इसकी समीक्षा की पहले ही मांग रख दी थी। ‘अग्निपथ’ के तहत सेना में चार साल के लिए अग्निवीरों को भर्ती किया जाता है। नियमित वेतन के अलावा चार साल बाद अग्निवीरों को 12 लाख रुपये मिलते हैं। एजेंसियां