कोलकाता : चाय की चुस्की के दीवाने हर वक्त एक कप चाय के लिए मौका ढूंढते रहते हैं। तबीयत नासाज है तो चाय, सर्दी है तो चाय, गर्मी है तो चाय, बारिश हो रही है तो चाय…यानी हर मौके पर अलग तरह की एक चाय मौजूद है। एक कहावत बहुत मशहूर है कि अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अंग्रेजी यहीं छोड़ गए। चाय के मामले में भी ये कहावत सही साबित होती है क्योंकि अंग्रेजी के अलावा भी अंग्रेज चाय हमारे यहां छोड़ गए थे। बिट्रेन से भारत आए अंग्रेज चाय अपने साथ लेकर आए थे। साल 1834 में जब गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक भारत आए, तो उन्होंने असम में कुछ लोगों को चाय की पत्तियों को उबालकर दवाई की तरह पीते हुए देखा। इसके बाद बैंटिक ने असम के लोगों को चाय की जानकारी दी और इस तरह भारत में चाय की शुरुआत हुई। आज 21 सितंबर को मनाया जाता है राष्ट्रीय चाय दिवस। ऐसे में आईये जानते हैं चाय से जुड़े कुछ खास तथ्य।
20 हजार से ज्यादा तरीकों की चाय
इस बात को हर कोई जानता है कि पानी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पिये जाने वाला पेय पदार्थ है लेकिन क्या आप जानते हैं इसके बाद चाय का नंबर आता है। चाय के अलग-अलग स्वाद और कई फायदों की वजह से ये दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित पेय पदार्थों में से एक है। सबसे अहम बात ये कि दुनिया भर में 20 हजार से ज्यादा तरीकों की चाय तैयार होती हैं।
दरअसल चाय के विकल्पों की एक लंबी लिस्ट है जैसे बबल टी, शामोमिल टी, ग्रीन टी, ऊलांग टी, आइस टी, स्वीट टी, हर्बल टी और ना जाने क्या-क्या…। अब ऐसे ही चाय के शौकीनों के लिए उनके पसंदीदा पेय को लेकर कुछ ऐसे रोचक तथ्य हम बता रहे हैं जो शायद ही आप जानते हों।
सोने से भी महंगी चाय
दुनिया की सबसे महंगी चाय का नाम है ‘दा-होंग पाओ’। इस चाय के एक किलो की कीमत करीब 8 करोड़ रुपये बताई जाती है। इस चाय को विशेष तरीके से तैयार किया जाता है। इस चाय की पत्तियां चीन के फुजीयान में वुई पर्वतों से लाई जाती हैं। दुनिया भर में तमाम चाय के ब्रांड्स है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला चाय का ब्रांड कौन सा है। दरअसल लिप्टन टी दुनिया का बेस्ट सेलिंग ब्रांड है। लिप्टन की बोतलबंद चाय दुनिया के सौ से ज्यादा देशों में उपलब्ध है। आपको जानकार हैरानी होगी कि अमेरिकियों ने पहली बार 1904 में चाय का स्वाद चखा था। सेंट लुई में वर्ल्ड फेयरर के दौरान एक शख्स ने अपने फार्म में उगाई गई चाय के सैंपल सामने रखे थे। इसके बाद इसी शख्स ने अपनी चाय में बर्फ का इस्तेमाल करके आइस टी तैयार की थी। क्या आप जानते हैं कि तिब्बती लोग चाय में बटर का इस्तेमाल करते हैं। यहां के लोग एनर्जी और कैलोरीज की मात्रा बढ़ाने के लिए चाय में बटर डालकर तैयार करते हैं। हालांकि इसका आमतौर पर इस्तेमाल नहीं होता बल्कि खास मौके पर ये चाय तैयार की जाती है।
क्या आपने टैसियोग्राफी के बारे में सुना है ?
क्या आपने कभी टैसियोग्राफी के बारे में सुना है। चाय की पत्तियों के बारे में जानकारी देने या फिर आम भाषा में कहे तो टी रीडिंग को टैसियोग्राफी कहा जाता है। चाय की पत्तियों की एक खासियत ये भी है कि ये मच्छरों को दूर भगाती है। आप कीड़े-मकौड़ों को भगाने के लिए भी टी बैग्स के टी सेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। सनबर्न से पैदा होने वाली जलन को कम करने के लिए भी चाय की पत्ती का इस्तेमाल किया जाता है। चाय के अंदर पाये जाने वाला टैनिन जलन कम करने में मददगार साबित होता है।
भारत में कैसे हुई चाय की शुरुआत
1834 में गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक के जानकारी देने के लगभग एक साल बाद 1835 में असम में चाय के बाग लगाए गए। इसके बाद 1881 में इंडियन टी एसोसिएशन की बुनियाद रखी गई। अब इसकी खेती अंतरराष्ट्रीय के लिए की जाने लगी थी। चाय का बिजनेस अंग्रेजों की कमाई का एक अच्छा जरिया था। भारत में चाय उगाई जाती और उसको विदेशों में बेचा जाता था।
5000 साल पुराना है चाय का इतिहास
बहुत कम लोगों को पता है कि चाय की खोज गलती से हुई थी। दरअसल चाय का इतिहास चीन से जुड़ा है, जहां पर 2732 बीसी में एक राजा के उबलते पानी में कुछ जंगली पत्तियां गिर गई थीं जिसमें से एक अलग तरह की महक आ रही थी, साथ ही पानी का रंग भी बदल गया था। इसके बाद राजा ने उसको पीकर देखा। उस पानी को पीने के बाद उनको ताजगी महसूस हुई। इस तरह से चाय की उत्पत्ती हुई।