नई दिल्ली: नए आपराधिक कानूनों को लागू करने से रोकने की मांग पर आज सोमवार (20 मई, 2024) को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। कोर्ट ने याचिका को सुनने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि IPC, CrPC और एविडेंस एक्ट की जगह लाए गए कानूनों को संसद में जरूरी बहस के बिना पास किया गया है। इस कारण सुप्रीम कोर्ट एक विशेषज्ञ कमिटी बनाए, जो इन कानूनों की व्यावहारिकता की जांच करे।
याचिकाकर्ता पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने याचिका को बिना सही अध्ययन के दाखिल करार दिया। कोर्ट के रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने याचिका वापस ले ली। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर याचिकाकर्ता याचिका पर बहस करता तो हर्जाना लगाया जाता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने कहा, “याचिका पर यदि आप बहस करते हैं तो हम जुर्माना लगा कर इसे खारिज कर देंगे, लेकिन आप इसे वापस ले रहे हैं तो हम जुर्माना नहीं लगा रहे हैं।”
नए कानून किसकी जगह लेंगे?
पिछले साल सदन से भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक को पारित किया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन विधेयकों पर अपनी मुहर लगा दी थी। ये तीनों नये कानून भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।