संघ प्रमुख के मंदिर-मस्जिद वाले बयान पर ‘संत समाज’की नाराजगी जारी
मुंबई : तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने मंदिर-मस्जिद से जुड़े मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर ‘संत समाज’ में जतायी जा रही नाराजगी के बीच कहा है कि वे संघ के संचालक हो सकते हैं, हिंदू धर्म के नहीं हैं कि उनकी बात हम मानते रहें।
धर्म का पालन करते हुए हम अतिवादी न हों : भागवत
गौरतलब है कि भागवत ने पुणे में एक व्याख्यानमाला में कहा था कि मंदिर-मस्जिद से जुड़ा मुद्दा कुछ लोग इसलिए उठाते हैं ताकि वे खुद को हिंदुओं के नेता के रूप में स्थापित कर सकें विशेष रूप से राम मंदिर के संदर्भ में ऐसी बातें ज्यादा देखने को मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि धर्म प्राचीन है और धर्म की पहचान से ही राम मंदिर बनाया गया है। यह सही है लेकिन सिर्फ मंदिर बन जाने से कोई हिंदुओं का नेता नहीं बन सकता। हिंदू धर्म सनातन धर्म है और इस सनातन और सनातन धर्म के आचार्य सेवाधर्म का पालन करते हैं। यह मानव धर्म की तरह सेवा धर्म है। सेवा धर्म का पालन करते हुए हमें अतिवादी नहीं होना चाहिए और देश की परिस्थिति के अनुसार मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए।
‘हम भागवत के अनुसार नहीं चल सकते’
भागवत के उक्त बयान पर स्वामी रामभद्राचार्य ने एक बार फिर अपना विरोध दर्ज कराया है। तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर ने मुंबई में एक इंटरव्यू में यह भी कहा कि भागवत हमारे अनुशासक रहे हैं, हम उनके अनुसार नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि मैं बीस बार कह रहा हूं कि हिंदू धर्म की व्यवस्था के लिए वे ठेकेदार नहीं हैं। हिंदू धर्म की व्यवस्था हिंदू धर्म के आचार्यों के हाथ में है। संपूर्ण भारत के भी वे प्रतिनिधि नहीं हैं। स्वामी रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि जो हमारी ऐतिहासिक वस्तुएं हैं, वे हमें मिलनी ही चाहिए और हमें लेनी भी चाहिए, चाहे जैसे मिले। भले इसके लिए साम, दाम, दंड, भेद क्यों न अपनाना पड़े। रामभद्राचार्य के अलावा और कई संतों ने भी भागवत के बयान की आलोचना की है। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी भागवत के उस बयान पर उनकी आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा था कि हर जगह मंदिर ढूंढ़ने की इजाजत नहीं दी सकती। रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में कांदिवली के ठाकुर विलेज में भव्य राम कथा का आयोजन किया गया है जिसमें रामभद्राचार्य सात दिन तक कथा सुनायेंगे।
भागवत आरएसएस प्रमुख हैं, हिंदुओं के नेता नहीं : रामभद्राचार्य
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