नयी दिल्ली: दिल्ली में टैक्सी और ऑटोरिक्शा चालकों ने ‘कैब एग्रीगेटर’ सेवाओं से बेहतर भुगतान की मांग को लेकर गुरूवार से दो दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी। हड़ताल के बीच दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ स्थानों पर टैक्सी चालकों और ऑटोरिक्शा चालकों को धमकाया गया और यात्रियों को उतारने के लिए कहा गया। टैक्सी और ऑटो यूनियनों ने कहा कि अपर्याप्त भुगतान के साथ-साथ एग्रीगेटर्स द्वारा मोटरसाइकिल टैक्सी सेवाएं शुरू किए जाने से उनकी आजीविका प्रभावित हुई है। दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन के अध्यक्ष किशन वर्मा ने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी में 80 प्रतिशत ऑटोरिक्शा और टैक्सियां सड़कों से नदारद हैं।
क्या है मामला?
दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ के महासचिव राजेंद्र सोनी ने आरोप लगाया कि चालकों को धमकाया जा रहा है। उनका संघ हड़ताल का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा ‘कई चालक हड़ताल का हिस्सा नहीं हैं। रेलवे स्टेशनों और बस स्टॉप के बाहर चालकों को धमकाया जा रहा है। हम मांग करते हैं कि पुलिस इन जगहों के बाहर निगरानी बढ़ाए’ डीएटीटीसीयू के अध्यक्ष वर्मा ने कहा ‘जब निजी वाहनों को चलने की अनुमति है तो हमें परमिट लेने और करों का भुगतान करने के लिए क्यों मजबूर किया जाता है? हम मांग करते हैं कि सरकार मोटरसाइकिल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगाए।’ हिंसा की घटनाओं पर उन्होंने कहा कि महिपालपुर, नजफगढ़, यमुना पार क्षेत्र में कुछ घटनाएं हुई हैं लेकिन हमारी यूनियन का इससे कोई लेना-देना नहीं है। वर्मा ने कहा कि ये असामाजिक तत्व हैं जो विरोध प्रदर्शन से लाभ उठाने और विरोध प्रदर्शन में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विपक्ष का काम है।