TMC के 3 बाहरी उम्मीदवारों ने भी बंगाल में लहराया जीत का परचम | Sanmarg

TMC के 3 बाहरी उम्मीदवारों ने भी बंगाल में लहराया जीत का परचम

कोलकाता: बंगाल के बाहर से आये TMC के तीन उम्मीदवारों से हार गई बीजेपी और कांग्रेस। अधीर चौधरी बहरमपुर में युसूफ पठान से हार गए। बर्दवान-दुर्गापुर में दिलीप घोष की हार कीर्ति आज़ाद के हाथों हुई। वहीं शत्रुघ्न सिन्हा ने आसनसोल में दूसरी बार बीजेपी का मुंह बंद कर दिया। पठान, शत्रुघ्न और कीर्ति में से दो क्रिकेट के मैदान पर बड़े-बड़े छक्के लगाने वाले पहले खिलाड़ी हैं, लेकिन इनमें से एक राजनीति में नहीं थे। हालांकि, अन्य दो को चुनाव लड़ने और संसद जाने का अनुभव है। लेकिन इन तीनों ने ‘मुश्किल मैच’ खेला। जैसे-जैसे मतगणना का दौर आगे बढ़ा, बहरमपुर से बर्दवान-दुर्गापुर से आसनसोल तक ‘खेला होबे’ के नारे तेज हो गए।

बिहार से हैं शत्रुघ्न और कीर्ति, यूसुफ गुजरात से 

मतदान के नतीजे घोषित होते ही अभिषेक के मोबाइल नंबर से पठान को ‘बधाई’ संदेश भेजा गया। शत्रुघ्न और कीर्ति बिहार के मूल निवासी हैं, यूसुफ गुजरात के हैं। उन तीन केन्द्रों में तीन बाहरी लोगों ने TMC को जीत दिला दी। विश्व कप विजेता क्रिकेट टीम के सदस्य पठान को बहरमपुर जैसे केंद्र में उतारकर तृणमूल ने चौंका दिया। ब्रिगेड में उम्मीदवारों की सूची की घोषणा के समय यूसुफ की ‘अचानक’ एंट्री और उसके ठीक बाद बहरमपुर में ‘अधीर गढ़’ का ‘खेलना’ मुश्किल था। लेकिन ‘पिंच हिटर’ ने ये कर दिखाया। आख़िरकार लगभग 85,000 वोटों से पठान से हारने के बाद अधीर ने कहा, “बांग्ला राजनीति धर्मनिरपेक्ष राजनीति के लिए लगातार ख़तरनाक होती जा रही है।” 2022 में शत्रुघ्न आसनसोल में उपचुनाव जीतकर सांसद बने। तृणमूल ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि इस बार भी उन्हें उम्मीदवार बनाया जायेगा और जब भाजपा ने आसनसोल में भोजपुरी स्टार पवन सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया, तो तृणमूल ने रैली की और दावा किया कि उनकी ऑन-स्क्रीन भूमिका ‘बंगाली विरोधी’ थी। पवन पीछे हो गये थे।

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मंगलवार को आसनसोल में शत्रुघ्न की जीत में ज्यादा बाधा नहीं आई। हालाँकि, अहलूवालिया, जिन्हें भाजपा ने बॉलीवुड के ‘बिहारी बाबू’ के खिलाफ मैदान में उतारा था, का ‘वोट’ रिकॉर्ड अच्छा है। लेकिन, 2021 के विधानसभा चुनाव में आसनसोल की सात लोकसभा सीटों में से सिर्फ दो पर बीजेपी का कब्जा था, ले​किन आख़िरकार शत्रुघ्न ने बड़े पर्दे की तरह चुनावी मैदान में विपक्ष को “ख़ामोश” कर दिया। जब जीत की तस्वीर साफ हुई तो मतगणना केंद्र पर अहलूवालिया को देख तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता और समर्थक ‘जय बांग्ला’ के नारे लगाने लगे। दोपहर में चुनाव आयोग ने शत्रुघ्न को विजेता घोषित कर दिया। पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आज़ाद को उम्मीदवार बनाने के बाद स्थानीय तृणमूल के एक वर्ग को यह भी डर था कि उनकी भाषा की समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंपर्क में बाधा बन सकती है। मगर ऐसा नहीं हुआ।

 

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