जब रतन टाटा को रातोरात छोड़ना पड़ा था बंगाल | Sanmarg

जब रतन टाटा को रातोरात छोड़ना पड़ा था बंगाल

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जब रतन टाटा और ममता बनर्जी के बीच बढ़ गया था विवाद तब टाटा को छोड़ना पड़ा था रातोरात बंगाल

 

कोलकाता : जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया है, जिसके चलते पूरे देश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उनके निधन पर दुःख व्यक्त किया है। उद्योग जगत, बॉलीवुड, और वैश्विक नेताओं ने भी उनके जाने पर संवेदनाएं जताई हैं।

‘मोदी और टाटा’ की ‘नैनो’ दोस्ती

रतन टाटा और नरेंद्र मोदी के बीच संबंधों को समझने के लिए सिंगूर में नैनो प्लांट का मामला महत्वपूर्ण है। 2006 से 2008 के बीच, टाटा समूह ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर में नैनो कार के लिए प्लांट लगाने की योजना बनाई। हालांकि, स्थानीय किसानों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी किसानों का समर्थन करते हुए “खेत बचाओ” आंदोलन चलाया।

रतन टाटा और ममता बनर्जी के बीच विवाद

आपको बता दें कि विरोध इतना बढ़ गया कि रतन टाटा ने 3 अक्टूबर 2008 को सिंगूर से बाहर निकलने का निर्णय लिया, जिसके लिए उन्होंने ममता बनर्जी और उनके समर्थकों के आंदोलन को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद, 7 अक्टूबर 2008 को उन्होंने घोषणा की कि वे गुजरात के साणंद में नैनो प्लांट स्थापित करेंगे। यह घटना टाटा और मोदी के बीच की दोस्ती को भी दर्शाती है, जो आगे चलकर गुजरात के विकास में महत्वपूर्ण साबित हुई। रतन टाटा का उद्योग जगत में योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।

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