अक्‍टूबर में रहेगी व्रत-त्‍योहारों की धूम, जान लें कब पड़ेंगे नवर‍ात्रि, दशहरा

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कोलकाता : चातुर्मास के दौरान कई महत्‍वपूर्ण व्रत-त्‍योहार पड़ते हैं. इसे त्‍योहारों का मौसम भी कहा जा सकता है। इस साल अधिकमास पड़ने के कारण सावन और उसके बाद के व्रत-त्‍योहार 15 से 20 दिन देरी से पड़ेंगे। अक्‍टूबर में पितृ पक्ष चलेगा, सर्व पितृ अमावस्‍या के पितरों को विदाई दी जाएगी। इसके बाद शारदीय नवरात्रि महापर्व पड़ेगा, फिर दशहरा मनाया जाएगा। इसके अलावा भी शरद पूर्णिमा जैसे महत्‍वपूर्ण पर्व पड़ेंगे। आइए जानते हैं कि अक्‍टूबर में कौनसे महत्‍वपूर्ण व्रत त्‍योहार पड़ रहे हैं।

अक्‍टूबर 2023 व्रत-त्‍योहार लिस्‍ट

जीवित्पुत्रिका व्रत, 6 अक्‍टूबर: जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया व्रत भी कहते हैं। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस बार जितिया व्रत 6 अक्‍टूबर को रखा जाएगा। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्‍छी सेहत के लिए रखती हैं।

इंदिरा एकादशी 10 अक्‍टूबर: अश्विन मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इंदिरा एकादशी पितृ पक्ष में पड़ती है और इस दिन दान-पुण्‍य करने से पितरों को मोक्ष मिलता है।

महालय श्राद्ध, 14 अक्‍टूबर: पितृ पक्ष का आखिरी दिन अमावस्‍या के दिन होता है। इसे सर्व पितृ अमावस्‍या या महालया भी कहते हैं। इस दिन पितरों की विदाई की जाती है। साथ ही इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनके मरने की तिथि पता ना हो।

शारदीय नवरात्रि 15 अक्‍टूबर: अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू होती हैं। इस साल 15 अक्‍टूबर से नवरात्रि शुरू हो रही हैं। नवरात्रि 23 अक्‍टूबर का समाप्‍त होंगी। इस दिन कन्‍या पूजन किया जाएगा।

विजयादशमी 24 अक्‍टूबर: विजयादशमी या दशहरा का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और लंका पर विजय प्राप्त की थी। साथ ही इसी दिन दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।

पापांकुशा एकादशी 25 अक्‍टूबर: पापांकुशा एकादशी का व्रत करने और पूजा करने से सारे पाप नष्‍ट होते हैं। धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार पापांकुशा व्रत करन से कई अश्वमेघ और सूर्य यज्ञ करने जितना फल मिलता है।

शरद पूर्णिमा व्रत 28 अक्टूबर: अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसे कोजागिरी भी कहते हैं। मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्‍मी धरती पर भ्रमण करने आती हैं। साथ ही शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाकर रखी जाती है और मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा की रात धरती पर अमृत बरसता है।

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