कोलकाता : आईपैक के सह संस्थापक और निदेशक प्रतीक जैन का कहना है कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं को नकद सहायता देने की योजना ‘लक्ष्मी भंडार’ लोकसभा चुनाव-2024 में ममता बनर्जी के लिए ‘पासा पलटने वाली’ साबित हुई। आईपैक एक परामर्श एजेंसी है और चुनाव एवं राजनीति में तृणमूल कांग्रेस को अपनी सेवाएं देती है। पश्चिम बंगाल में मुख्य प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरी भाजपा के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को मिली भारी जीत के बाद जैन ने ये बातें कहीं। उम्मीदवारों का गलत चयन भी भाजपा के खराब प्रदर्शन का एक कारण हो सकता है जिसे राज्य की 42 लोकसभा सीट में से महज 12 पर सफलता मिली है। वहीं, तृणमूल ने 29 सीट पर जीत दर्ज की है।
जैन को उनके करीबी पीजे के तौर पर जानते हैं और 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रशांत किशोर द्वारा तृणमूल का साथ छोड़ने के बाद उनकी संस्था ने अपनी सेवाएं देनी शुरू की।
‘लक्ष्मी भंडार’, ‘कन्याश्री’ ने तृणमूल के पक्ष में हवा का रुख बदल दिया
मतगणना से पहले प्रशांत किशोर के पूर्वानुमान का संदर्भ देते हुए जैन ने हंसते हुए कहा, ‘‘मैं पहले चुप रहा, हालांकि बंगाल के लिए मेरा आकलन किशोर की भविष्यवाणी से काफी अलग था। अगर मैं तब बोलता, तो मुझे सीधे मेरे पूर्व बॉस के खिलाफ खड़ा कर दिया जाता।’’ किशोर ने कहा था कि भाजपा पश्चिम बंगाल में अपनी पिछली 18 सीट की संख्या में सुधार करेगी और संभव है कि वह 30 की संख्या तक भी जा सकती है। जैन ने कहा कि ममता बनर्जी की महिला-केंद्रित लाभार्थी योजनाएं जैसे ‘लक्ष्मी भंडार’, ‘कन्याश्री’ और ‘सबुज साथी’ ने तृणमूल के पक्ष में हवा का रुख बदल दिया, खासकर बंगाल के ग्रामीण इलाकों में।
50 प्रतिशत मतदाता महिलाएं हैं
राज्य में लगभग 50 प्रतिशत मतदाता महिलाएं हैं और इनमें से करीब 2.3 करोड़ आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को वर्तमान में अकेले ‘लक्ष्मी भंडार’ से 1000 रुपये की मासिक सहायता मिलती है। जैन ने कहा, ‘‘इस धनराशि से न केवल उनकी वित्तीय समस्याएं दूर हुईं, बल्कि इससे राज्य की ग्रामीण महिलाओं का आवश्यक सशक्तीकरण भी हुआ।’’ भाजपा का प्रचार महिला केंद्रित होने के बावजूद क्यों मतदाताओं को आकर्षित नहीं कर पाया? यह पूछने पर जैन ने कहा, ‘‘उनका प्रचार अभियान मोटे तौर पर नकारात्मक था और संदेशखाली के ईर्द-गिर्द सिमटा था। कुछ लोग ही उसपर विश्वास करते थे और जब स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो आया तो भाजपा के दावे की पोल खुल गई और यह उनके ताबूत में आखिरी कील साबित हुई।
भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन में गलती की थी
जैन ने कहा कि भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन में भी गलती की। उन्होंने कहा, ‘‘जब उन्होंने अपनी सूची जारी की तो हम हतप्रभ रह गए। दिलीप घोष को बर्धमान-दुर्गापुर में स्थानांतरित करने से न केवल पार्टी को वह सीट गंवानी पड़ी, बल्कि दो अतिरिक्त सीटें भी गंवानी पड़ीं। मिदनापुर की, जहां से घोष सांसद थे और आसनसोल की, जहां मिदनापुर में घोष की जगह लेने वाली अग्निमित्रा पॉल के पास लड़ने का मौका था।’’ जैन ने हालांकि, स्वीकार किया कि वह एग्जिट पोल से घबरा गए थे, जिसमें राज्य में भाजपा की भारी जीत की भविष्यवाणी की गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने खुद से सवाल करना शुरू किया और सोचा कि हमने क्या गलती की है।’’ उन्होंने कहा कि एजेंसी के आंतरिक आकलन के अनुसार तृणमूल के कम से कम 23 सीट पर जीतने की संभावना थी।