kolkata: दायीं ओर था बांग्लादेशी महिला का दिल, कोलकाता के डॉक्टर्स ने दिया नया जीवनदान | Sanmarg

kolkata: दायीं ओर था बांग्लादेशी महिला का दिल, कोलकाता के डॉक्टर्स ने दिया नया जीवनदान

कोलकाता : बांग्लादेशी मूल की एक वृृद्धा बीते दो वर्षों से सीने के दाहिने हिस्से में असहनीय दर्द से परेशान थी। बांग्लादेश में कई डॉक्टरों से स्वास्थ्य परीक्षण कारए जाने के बाद भी जब स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया तो वृद्धा के परिजन उन्हें इलाज के लिए कोलकाता लेकर पहुंचे। जांच के दौरान पाया गया कि वृद्धा का दिल सीने के बाएं ओर न होकर दाहिनी ओर है और उनके सीने और पेट के अंग सामान्य मानव शरीर रचना के विपरीत हैं। यह दुर्लभ स्थिति 40 लाख में एक व्यक्ति में पाई जाती है। चिकित्सकिय भाषा में इस स्थिति को डेक्सट्रोकार्डिया और साइटस इनवर्सस कहा जाता है। मणिपाल अस्पताल, ब्रॉडवे में भर्ती वृद्धा को कार्डियक सर्जन प्रोफेसर (डॉ.) सिद्धार्थ मुखर्जी और उनकी टीम ने जटिल बाईपास सर्जरी कर उन्हें नया जीवनदान प्रदान किया है। बांग्लादेश के खुलना जिले के सतखिरा की निवासी 54 वर्षीय मोना रानी दास के परिजनों ने बताया कि मोना रानी दास करीब दो वर्षों से सीने के दर्द से परेशान थी। पहले तो वृद्धा के परिजनों को लगा कि उन्हें एसिड रिफ्लक्स की समस्या है, क्योंकि दर्द शरीर के दाहिने हिस्से में हो रहा था। हालाँकि, कुछ दिन बाद उनकी साँसें फूलने लगी। इसी दौरान उन्हें दिल का दौरा भी पड़ा।

डॉक्टरों ने बताया क‌ि…

बांग्लादेश में करीब 18 महीने तक इलाज चलने के बाद डॉक्टरों ने पाया कि उनका दिल छाती के दाहिनी ओर स्थित है। महिला की सर्जरी में खतरे की आशंका जताए जाने के बाद परिजनों ने उनकी बेटी और दामाद से संपर्क किया जो नादिया जिले के कल्याणी में रहते हैं। कल्याणी के एक चिकित्सक से परामर्श करने के बाद महिला को 24 मई को साल्टलेक स्थित मणिपाल अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां प्रीऑपरेटिव जांच के दौरान, पाया गया कि वृद्धा न केवल डेक्सट्रोकार्डिया बल्कि साइटस इनवर्सस से भी ग्रसित है, जहां हृदय, फेफड़े और पेट सहित शरीर के सभी प्रमुख अंग सामान्य स्थान से विपरित दिशा में स्थित हैं। सर्जिकल टीम के सामने सफलतापुर्वक सर्जरी करने की बड़ी चुनौती खड़ी थी। 27 मई को महिला की बाईपास सर्जरी की गई। डॉ. मुखर्जी ने बताया कि डेक्सट्रोकार्डिया से पीड़ित मरीजों की सर्जरी करना विशेष रूप से सर्जनों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि उनमें से अधिकांश दाएं हाथ से काम करने वाले होते हैं। ऐसे में सर्जिकल टीम को बाईं ओर खड़े होकर सर्जरी करना होता है। उन्होंने बताया, सिटस इनवर्सस के साथ डेक्सट्रोकार्डिया के जेनेटिक कारणों को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, जिससे यह एक विकासात्मक विसंगति बन गई है। इस स्थिति की दुर्लभता, विशेष रूप से गंभीर हृदय संबंधी समस्याओं के साथ, ऐसे मामले को और दुर्लभ बनाती है।

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