एनजेपी से ट्रेन छूटने के बाद पत्नी को किया था आखिरी कॉल | Sanmarg

एनजेपी से ट्रेन छूटने के बाद पत्नी को किया था आखिरी कॉल

कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना में रेल डाक सेवा कर्मचारी की मौत

कोलकाता : सोमवार की सुबह 8.30 बजे का वक्त। न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से 13174 कंचनजंघा एक्सप्रेस रवाना हुई। ट्रेन की आखिरी डिब्बे में सवार रेल डाक सेवा (आरएमसी) कर्मचारी शंकर मोहन दास ने हमेशा की तरह अपनी पत्नी को फोन कर ट्रेन के रवाना होने सूचना दी। करीब घंटे भर का ही समय बीता था कि शंकर के भांजे ने अपने चाचा को फोन कर बताया कि न्यूज चैनल पर कंचनजंघा ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें चल रही हैं। शंकर को कई बार फोन करने के बाद भी वह फोन नहीं उठा रहे। दुर्घटना की खबर परिवार में जंगल के आग की तरह फैली। शंकर के चचेरे भाई पार्थ दास कॉल काटते हुए फौरन न्यूज चैनल का रुख किया। टीवी स्क्रीन पर कंचनजंघा एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त रेल के डिब्बों की तस्वीर चलाई जा रही थी। उन्होंने फौरन अपने मोबाइल फोन से बड़े भाई को कॉल लगाया मगर इस बार भी दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। पार्थ फौरन अपने चचेरे भाई के घर के लिए रवाना हो गए।

रेस्क्यू टीम ने उठाया मोबाइल, कहा हालत गंभीर है : शंकर के चचेरे भाई परिवार के अन्य सदस्यों के साथ फौरन सियालद स्टेशन पहुंचे। हालांकि, कोई सही जानकारी नहीं मिलने पर परिवार वापस घर लौट आया। इस बीच शंकर के छोटे बेटे जब उनके मोबाइल पर कॉल किया तो किसी अन्य व्यक्ति ने फोन उठाया। व्यक्ति ने बताया कि वह रेस्क्यू टीम का सदस्य है और उनके पिता की हालत गंभीर है। देर दोपहर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज से शंकर के चचेरे भाई को फोन आया। कॉलर ने शंकर की मौत की सूचना देते हुए उनके शव की शिनाख्त के लिए परिवार को अस्पताल आने के लिए कहा। शंकर के परिवार के सदस्य दुर्घटनास्थल के लिए रवाना हो गए।

रिटायरमेंट के बाद मिला था एक्सटेंशन : 62 वर्षीय शंकर मोहन दास बीते 25 वर्षों से भारतीय डाक सेवा की शाखा रेल डाक सेवा में कार्यरत थे। हाल ही में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें विभाग की ओर से एक्सटेंशन पर रखा गया था। शंकर सियालदह से न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के बीच कंचनजंघा एक्सप्रेस के रेल डाक सेवा बोगी के प्रभारी थे। परिवार में वृद्ध मां काजल रानी दास, पत्नी स्वपना दास, दो बेटे शुभांकर मोहन दास और शुभम दास, बहू और बेटी हैं। बड़ा बेटा मेडिकल क्षेत्र से जुड़ा है। जबकि छोटा बेटा शुभम इंदौर शहर में एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी में इंजिनीयरिंग विभाग में कार्यरत है। शंकर के घर के पड़ोस में ही उनके चचेरे भाई पार्थ दास का परिवार रहता है।

फुटबॉल प्रेमी के रूप में थे मशहूर : शंकर की मौत की खबर से केवल उनके परिजन ही नहीं बल्की इलाके के लोग भी शोक के माहौल में है। घटना की सूचना मिलने के बाद से ही कैनल सर्कुलर रोड स्थित उनके घर के बाहर लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी। इलाके के लोगों के बीच शंकर फुटबॉल प्रेमी के रूप में मशहूर थे।

रेलवे सुरक्षा को लेकर परिवार में रोष : सुरेश मोहन दास ने आरोप लागाया कि रेलवे सुरक्षा के विषय पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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