नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कई अहम फैसले लेते हुए नगरीय बस परिवहन सेवा का विस्तार करने, उसे सुविधाजनक बनाने तथा प्रदूषण रहित (हरित) आवाजाही को बढ़ाने के लिए ‘पीएम-ई बस सेवा’ को मंजूरी दी। इस पर 10 वर्ष में 57,613 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे और 10 हजार इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध करायी जायेंगी। मंत्रिमंडल ने 14,903 करोड़ रुपये के डिजिटल इंडिया परियोजना के विस्तार को मंजूरी दे दी। करीब 32,500 करोड़ रुपये की रेलवे की 7 मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई, इससे बंगाल सहित 9 राज्यों के 35 शहरों में रेलवे के वर्तमान नेटवर्क में 2339 किलोमीटर जोड़ा जा सकेगा।
‘चैलेंज मोड’ पर 100 शहरों का चयन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि ‘पीएम-ई बस सेवा’ में उन शहरों को प्राथमिकता दी जायेगी जहां व्यवस्थित परिवहन सेवा की कमी है। इसके लिए केंद्र सरकार 20 हजार करोड़ रुपये देगी और शेष राशि राज्यों को देनी होगी। ठाकुर ने बताया कि देश में 3 लाख से 40 लाख की आबादी वाले 169 शहर हैं और इनमें से ‘चैलेंज मोड’ के आधार पर 100 शहरों का चयन किया जायेगा। ई-बसें सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत इन चुने गए शहरों में चलाई जायेंगी। इस योजना से 45,000 से 55,000 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। इसमें पांच लाख की आबादी वाले नगरों को 50 बसें दी जानी है, पांच लाख से 20 लाख तक आबादी वाले नगरों को 100 बसें और 20 लाख से 40 लाख तक आबादी वाले शहरों को 150 बसें दी जायेंगी।
डिजिटल इंडिया : सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 14,903 करोड़ रुपये से डिजिटल इंडिया का विस्तार कर 5.25 लाख आईटी पेशेवरों को नयी प्रौद्योगिकी के हिसाब से फिर से हुनरमंद बनाया जायेगा और साथ 2.65 लाख लोगों को सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जायेगा। राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनसीएम) में नौ और सुपर कंप्यूटर जोड़े जायेंगे।
‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ ः 13 हजार करोड़ रुपये की नयी ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ के तहत 5 वर्षों में 30 लाख पारंपरिक कारीगरों को लाभ होगा। 18 पारंपरिक कार्य करने वालों को प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें ऋण दिया जाएगा। एजेंसियां
इनमें बढ़ई, नौका बनाने वाले, लोहार, हथौड़ा एवं औजार बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, पत्थर की कारीगरी करने वाले, चर्मकार, राज मिस्त्री, दरी, झाड़ू एवं टोकरी बनाने वाले, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले आदि शामिल हैं। एजेंसियां