लोगों का फूटा क्रोध
घटना के बाद ग्रामीणों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पुलिस ने पहले गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार किया। इसके चलते लगभग 200 लोगों की भीड़ ने महिषमारी पुलिस चौकी में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। शनिवार, 5 अक्टूबर को जब पुलिस शव बरामद करने के लिए गांव पहुंची, तो गुस्साए ग्रामीणों ने उनके साथ मारपीट की।
ममता सरकार पर सवाल
पश्चिम बंगाल भाजपा के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस मामले को लेकर ममता सरकार पर हमला किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, "पश्चिम बंगाल पुलिस ने पूर्व में हुए बलात्कार और हत्या के मामले से कुछ नहीं सीखा है। जॉयनगर की यह घटना भी इसी का एक उदाहरण है।" अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने त्वरित प्रतिक्रिया देने के बजाय अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर पुलिस सक्रिय होती तो बच्ची को बचाया जा सकता था।
क्या है पूरा मामला?
पीड़िता, जो चौथी कक्षा की छात्रा थी, शुक्रवार दोपहर करीब 2.30 बजे ट्यूशन क्लास में गई थी। जब वह शाम तक घर नहीं लौटी, तो परिवार और ग्रामीणों ने उसकी तलाश शुरू की। पीड़िता के पिता ने बताया कि लड़की शाम करीब 5 बजे उनके स्थानीय बाजार में आई थी, लेकिन रात को जब वह घर लौटे तो पता चला कि वह घर नहीं पहुंची। इसके बाद परिवार ने उसकी तलाश शुरू की, और उसका शव लगभग एक किलोमीटर दूर मिला। इस घटना ने पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था और पुलिस के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और स्थानीय लोगों में भय और गुस्सा दोनों की भावना है।