कोर्ट का आदेश: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश | Sanmarg

कोर्ट का आदेश: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश

नई दिल्ली: एक अदालत ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ चुनावी बांड के माध्यम से पैसे वसूली के आरोप में FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। इस मामले में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अनियमितताएं की हैं, जिससे जनता के हित प्रभावित हुए हैं। अदालत ने संबंधित अधिकारियों को मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा है। यह निर्णय राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर सकता है, क्योंकि इससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा तेज हो गई है। इस मामले में आगे की कार्रवाई और जांच की प्रक्रिया की प्रतीक्षा की जा रही है, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सके।

कर्नाटक के CM ने मांगा इस्तीफा
आपको बता दें क‌ि इस मामले को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने निर्मला सीतारमण के इस्तीफे की मांग की है। इसके बाद उन्होंने  कहा कि इस मामले में तीन महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘निर्मला सीतारमण के खिलाफ जनप्रतिनिधियों की विशेष अदालत में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। वह कौन हैं? वह एक केंद्रीय मंत्री हैं, और उनके खिलाफ एफआईआर भी है। वे चुनावी बॉन्ड के माध्यम से जबरन वसूली में शामिल थीं और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।’

क्या है चुनावी बॉन्ड?

चुनावी बॉन्ड एक ऐसी योजना है जिसकी शुरुआत केंद्र सरकार ने 2018 में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में नकद दान को खत्म करना था, जिससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बनी रहे। इस योजना के तहत, लोग राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए एसबीआई के चुनावी बॉन्ड का उपयोग कर सकते थे। लेकिन इसमें एक बड़ा नुकसान यह था कि दानदाता की पहचान गुप्त रखी जाती थी, जिससे यह पता नहीं चलता था कि कौन सा व्यक्ति या संगठन किस राजनीतिक दल को चंदा दे रहा है। विपक्षी दलों और कई याचिकाओं ने इस योजना के खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है।

चुनावी बॉन्ड योजना की मुख्य विशेषताएं

– राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए एसबीआई के चुनावी बॉन्ड का उपयोग
– दानदाता की पहचान गुप्त रखी जाती थी
– बॉन्ड की वैधता 15 दिनों की थी
– केवल पंजीकृत राजनीतिक दल ही बॉन्ड प्राप्त कर सकते थे ¹

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