गर्भावस्था और शिशु के वजन….
मां की उम्र, वैवाहिक स्थिति व मद्यपान की आदत का बच्चे के वजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन इनका प्रभाव बच्चे की आदत पर जरूर पड़ता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने अपने एक अध्ययन में 24 हजार उन महिलाओं को शामिल किया था जो मधुमेह की शिकार नहीं थी। इस अध्ययन से मालूम हुआ कि जिन महिलाओं का वजन गर्भधारण करने से पहले 80 कि. ग्रा. से अधिक था या जो पहले कम से कम दो बार मां बन चुकी थी, उन्हें पहली बार मां बनने वाली या अन्य औरतों की तुलना में ज्यादा वजन वाले शिशु को जन्म देने का खतरा दुगुना था। इसी अध्ययन के साथ की गई एक जांच से मालूम हुआ कि 10 महीने या उससे ज्यादा अवधि के बाद बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को ज्यादा वजन का बच्चा होने का खतरा उन औरतों की तुलना में दुगुना था जो निर्धारित अवधि या उससे कम अवधि में बच्चे को जन्म देती हैं। जिन बच्चों का वजन जन्म के समय ज्यादा होता है, उनका वजन बड़ा होने पर सामान्य वजन से अधिक से ज्यादा होता है। चिकित्सकों का कहना है कि गर्भावस्था में गर्भवती का वजन ज्यादा नहीं बढऩा चाहिए। आधुनिक चिकित्सा वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भ धारण करने से पहले महिलाओं को अपना वजन कम कर लेना चाहिए। साथ ही यह सलाह भी दी गई है कि मां बनने की इच्छुक लड़कियों या महिलाओं को गर्भधारण करने से पहले अपने चिकित्सक से मिलकर मशवरा जरूर लेना चाहिए। इससे मालूम हो जायेगा कि वह गर्भधारण करने के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार हैं या नहीं।