कोलकाता: कई रोगों में फलों को आहार स्वरूप दिया जाता है। उन्हीं फलों में से एक है पपीता। इसमें रोजमर्रा के लिए आवश्यक तत्व मिनरल्स, विटामिन्स और प्रोटीन उचित मात्रा में होते हैं।
अच्छी किस्म के 100 ग्राम पपीते के गूदे में निम्न की प्रधानता होती है-नमी 90.8 प्रतिशत, प्रोटीन 0.6 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, मिनरल्स 0.5 प्रतिशत, फाइबर 0.8 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट्स 72 प्रतिशत, फास्फोरस 13 मिलीग्राम, कैल्शियम 17 मिलीग्राम, आयरन 0.5 मिलीग्राम, विटामिन सी 57 मिलीग्राम और ऊर्जा 32 कैलोरी।
उपयोग:- गूदे का उपयोग मुरब्बा व जैली बनाने में किया जाता है।
औषधीय गुण:- कच्चे पपीते से प्राप्त कारपेन एल्कोलाइड व पेपेन का प्रयोग औषधियों में किया जाता है।
पित्ती बढ़ना-पपीते को छीलकर टुकड़ों में काटकर सिरके में डालें व 6-7 दिनों के बाद इसका प्रयोग 14 ग्राम की मात्रा में करें।
दूध वृद्धि – प्रसूताओं के लिए यह दूध-वृद्धि हेतु उपयोगी है। इसका सेवन नित्य करें।
पेट के कीड़े – पपीते के रस में शहद मिलाकर बच्चों को पिलाएं।
मासिक धर्म – कच्चे पपीते का सेवन मासिक धर्म की शिकायत दूर करता है।
कब्ज के लिए– सुबह शाम 100 ग्राम की मात्रा में पपीते का सेवन करें।
पाचक गुण- इसमें भारी प्रोटीनों को शीघ्र पचाने की क्षमता होती है। दिल के मरीजों के लिए लाभप्रद है।
सावधानियां- पपीता खाने के तुरन्त बाद पानी न पीएं और गर्म खाद्य पदार्थ या पेय के तुरन्त बाद इसका प्रयोग न करें। बाजार से कटे पपीते खरीदकर न खाएं। इस पर गन्दगी हो सकती है।