कोलकाता: गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है, हर भक्त के जीवन के सभी संकटों को हरने वाले माने जाते हैं। गणेश चतुर्थी को विशेष रूप से भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना और पूजा के साथ मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में लोग अपने घरों और सार्वजनिक स्थानों पर गणपति की मूर्ति स्थापित करते हैं। इसे अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के साथ समाप्त किया जाता है। इस दौरान भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, दूर्वा और फूलों का भोग अर्पित किया जाता है, और भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
गणेश पूजन की सामग्री:
1. पूजन के लिए आवश्यक सामग्री निम्नलिखित है:
2. गणेश मूर्ति या चित्र
3. लाल या पीले कपड़े का आसन
4. मोदक, लड्डू, या अन्य मिठाई
5. सिंदूर, हल्दी, चावल (अक्षत)
6. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण)
7.फल, नारियल
8. दूर्वा (हरी घास),
9. पान के पत्ते और सुपारी
10. धूप, दीप, अगरबत्ती
11. फूलों की माला, गुलाब या कोई अन्य फूल
12. कपूर और दीपक
13. गंगाजल या साफ पानी
14. कलश और आम के पत्ते
गणेश पूजन विधि:
1. गणेश स्थापना: गणेश चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें। पूजन स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और वहां पर लाल या पीले कपड़े का आसन बिछाएं। गणेश जी की मूर्ति या चित्र को आसन पर स्थापित करें। मूर्ति की स्थापना हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें।
2. कलश स्थापना: गणेश जी के सामने कलश स्थापित करें। कलश में गंगाजल भरकर उसमें सुपारी, दूर्वा, सिक्के और आम के पत्ते डालें। कलश के मुख पर एक नारियल रखें।
3. भगवान गणेश का आह्वान:भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें आह्वान करें। “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश को अपने घर में विराजमान करने का निवेदन करें।
4. गणेश जी का अभिषेक: गणेश जी की मूर्ति का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक करें। इसके बाद गंगाजल या साफ पानी से मूर्ति को शुद्ध करें और सूखे कपड़े से पोछें।
5. पूजा सामग्री अर्पण: गणेश जी को रोली, सिंदूर, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, पान, सुपारी और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं, जो उन्हें अत्यंत प्रिय है।
6. गणेश मंत्र और स्तुति:
गणेश जी की स्तुति और मंत्रों का पाठ करें। “ॐ गं गणपतये नमः”, “वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥” जैसे मंत्रों का जाप करें।
7. आरती करें: गणेश जी की आरती गाएं और दीपक और कपूर जलाकर भगवान गणेश की आरती करें। आरती के दौरान घंटी बजाएं और “जय गणेश देवा” का पाठ करें।
8. परिक्रमा और प्रार्थना: गणेश जी की परिक्रमा करें और उनसे सुख-समृद्धि, बुद्धि और बाधाओं के निवारण की प्रार्थना करें।
9. प्रसाद वितरण: पूजन के बाद भगवान गणेश को अर्पित भोग और प्रसाद को परिवार के सदस्यों में बांटें और खुद भी ग्रहण करें।
10. विसर्जन का संकल्प: अगर गणेश जी की मूर्ति स्थापित की है तो विसर्जन का संकल्प लें और गणेश चतुर्थी के उपरांत मूर्ति का विधि विधान से विसर्जन करें।
पूजन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:
…पूजा के समय मन को शांत और ध्यानमग्न रखें।
…गणेश पूजन के दौरान दूर्वा और मोदक अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।
…भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को आसन पर स्थापित करते समय उन्हें कपड़े से ढककर रखना चाहिए और पूजन के दौरान ही उन्हें हटाना चाहिए।
…पूजन के समय दीपक जलाना और आरती करना अनिवार्य है, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
…इस प्रकार विधिपूर्वक गणेश पूजन करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख, समृद्धि और विघ्नों का नाश होता है।
…गणपति बप्पा मोरया!