छाता लगाकर सड़कों के किनारे डाला लगाते हॉकर
दमदम : सड़क पर वाहनों की रेलमपेल और फुटपाथ पर अतिक्रमण, ऐसे में राहगीर चलें तो कहां? इस सवाल का जबाव प्राशसनिक अधिकारियों के पास भी नहीं है। कारण नियमों को ताक पर रखकर छाता लगाकर अतिक्रमणकारी फुटपाथ पर कब्जा जमाए हुए हैं और नगरपालिका है कि हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उनकी आंखों के सामने न सिर्फ रोजाना राहगीरों के चलने में दिक्कत होती है, बल्कि सड़क दुर्घटना का भय सदैव सताता रहता है। बताते चलें कि दमदम स्टेशन से लेकर हनुमान मंदिर, मोतीझील व नागेरबाजार सहित मुख्य मार्गों के फुटपाथ अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि शहर का शायद ही कोई फुटपाथ बचा हो जिस पर ठेले, गुमटी आबाद न हो। पैदल चलने के लिए बनाए गए फुटपाथ सब्जी, फल, चाय-पान के ठेले और मांस-मछली की दुकानों के साथ व्यापारियों की जागीर बन गए हैं। इन्हें मुक्त कराने के लिए न तो नगर पालिका आगे आ रही है और न ही नागरिकों को पुलिस सुरक्षित यातायात मुहैया करवा पा रही है। हालांकि इसे लेकर जब दक्षिण दमदम नगरपालिका की चेयरपर्सन कस्तूरी चौधरी से सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया।
जहां दुकानें नहीं वहां पार्क किये जा रहे हैं वाहन : शहर के अधिकांश फुटपाथों पर जहां फुटपाथी विक्रेताओं ने कब्जा जमा लिया है। वहीं कई जगह वाहन पार्क किए जा रहे हैं। नागेरबाजार फ्लाईओवर ब्रिज, इंदिरा गांधी स्टेडियम के अलावा खुद नगरपालिका के आसपास यही स्थिति है। स्थानीय ऑटो ड्राइवर ने बताया कि एक तो यहां की सड़कें हॉकरों की वजह से संकरी हो गई हैं, वहीं दूसरी ओर लोग जहां-तहां दोपहिया-चार पहिया वाहन खड़ा कर देते हैं, इस रास्ते से कई बसें भी गुजरती हैं। स्थिति ऐसी है कि दो बसें एक साथ यहां खड़ी हो जाएं तो घंटो जाम लग जाता है। इस जगह ट्रैफिक पुलिस कर्मी भी नहीं रहते हैं जो यातायात को सामान्य कर सकें।
जान जोखिम में डाल कर सड़क पर चल रहे राहगीर
स्थानीय लोगों का कहना है कि लंबे-चौड़े फुटपाथ होने के बावजूद राहगीर सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों के बीच जान जोखिम में डाल कर सड़क पर ही पैदल चलने मजबूर हैं। हालत यह है कि स्टेशन व मेट्रो से निकलकर जहां दोनों तरफ के फुटपाथ पर हॉकरों का कब्जा है वहीं नगर पालिका के आसपास चाय, फल, कचौड़ी बेचने वालों ने कब्जा कर लिया है। वहीं छाता लगाकर फ्लाईओवर के नीचे और आसपास की जगहों पर इस कदर अतिक्रमण किए गए हैं कि फुटपाथ लगभग गायब हो गए हैं।