kolkata Weather: बदलते मौसम में कोलकाता में फैल रहा ये वायरस….. | Sanmarg

kolkata Weather: बदलते मौसम में कोलकाता में फैल रहा ये वायरस…..

कोलकाता : बारिश का मौसम तो चालू हो गया है, लेकिन अब भी बारिश सही ढंग से नहीं हो रही है। इस बीच, कोलकाता में घर-घर वायरल फीवर फैल गया है जिसकी चपेट में केवल बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी आ रहे हैं। विशेषकर स्कूल जाने वाले बच्चों में वायरल फीवर काफी फैला हुआ है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूल जाने वाले बच्चों की तुलना में छोटे बच्चों को खतरा अधिक है।
बुखार आने पर स्कूल न जाने की अपील
स्कूली बच्चों में वायरल फीवर को लेकर स्कूल भी काफी सतर्क हैं। स्कूल प्रबंधन की ओर से अभिभावकों से अपील की जा रही है कि बुखार होने पर बच्चों को स्कूल ना भेजें। इस बारे में द हेरिटेज स्कूल की प्रिंसिपल सीमा सप्रू ने सन्मार्ग से कहा, ‘हमारे स्कूल में भी कई बच्चे वायरल फीवर से ग्रसित हैं और काफी बच्चे अनुपस्थित हो रहे हैं। हम अभिभावकों से अपील कर रहे हैं कि अपने बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने की कोशिश करें। इसके अलावा बारिश के मौसम में बाहर का खाना बच्चों को ना दें। गर्मी से बच्चे तुरंत ए.सी. में और फिर ए.सी. से गर्मी में ना जायें, इसके लिये स्कूल की आउटडोर एक्टिविटी फिलहाल बंद है। स्कूल में बच्चों के लिये बनने वाला खाना जल्द पचने वाला हो, इस पर भी नजर रखी जा रही है। हमारे स्कूल में एक सप्ताह में दो बार टेस्ट होते हैं, ऐसे में बुखार होने पर बच्चों को टेस्ट देकर वापस घर जाने के लिये कहा जा रहा है। जिन बच्चों को तेज बुखार है, उन्हें स्कूल नहीं आने के लिये भी कहा जा रहा है।’ वहीं ला मार्टिनियर स्कूल के सेक्रेटरी सुप्रियो धर ने कहा, ‘हमारे स्कूल में रोजाना ही स्प्रे वगैरह किया जाता है। वहीं बुखार होने पर अभिभावकों से कहा जाता है कि बुखार ठीक ना होने तक बच्चों को स्कूल ना भेजें।’
60 से 70% मरीज आ रहे वायरल फीवर के
जाने-माने पेडियाट्रिशियन डॉ. लोकेश पाण्डेय ने कहा, ‘बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी वायरल फीवर फैला हुआ है। बच्चों में सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। उनका बुखार जल्दी कम नहीं हो रहा है और इसमें 5 से 6 दिनों का समय लग जा रहा है। मेेरे यहां 60 से 70% मरीज वायरल फीवर के आ रहे हैं। बच्चों में एडिनो और फ्लू जैसे वायरस अधिक मिल रहे हैं। हालांकि कौन सा वायरस बच्चे में है, इसका पता लगाने के लिये जो टेस्ट होता है, वह काफी महंगा होता है। इस कारण काफी लोग यह टेस्ट नहीं कराते हैं।’
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