कोलकाता : चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। देवी के इस स्वरूप को संकटों से उबारने वाला माना जाता है। माता जीवन में आने वाली परेशानी भूत प्रेत के भय और परेशानियों को दूर कर देती हैं। माता कालरात्रि का पूजन रात के समय करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन शुंभ निशुंभ के साथ ही रक्तबीज का विनाश करने वाली देवी ने कालरात्रि का रूप धारण किया था। माता का मंत्र जाप करना बेहद शुभ होता हे। मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण है। आइए जानते हैं माता रानी का प्रिय भोग, मंत्र और आरती। इसके जाप से ही माता रानी प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।
ऐसा है मां कालरात्रि का स्वरूप
कालरात्रि मां गधे पर विराजमान होती है। उनके तीन नेत्र हैं और चार भुजाएं हैं। मां की भुजाओं में कांटा, खड्ग, लौह अस्त्र सुशोभित है। मां कालरात्रि के गले बिजली सी चमक हैं। देवी के इस स्वरूप को शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है। मां भूत, प्रेत, भय और बुरी शक्तियों का विनाश करती हैं। कालरात्रि की पूजा अर्चना अचूक मानी जाती हैं। मां भय, दुख और कष्टों का नाश करती हैं।
मां कालरात्रि का भोग
महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी चीजें का भोग बेहद प्रिय होता है। इनमें गुड़ के चिल्ले से लेकर मालपुआ और पकोड़े शामिल हैं। इनका भोग लगाने से माता रानी प्रसन्न होती हैं। भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
ये हैं मां कालरात्रि का स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः
माता का सिद्ध मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी.. वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि।