नई दिल्ली : सोशल मीडिया को लेकर सरकार लगातार नए नियम लाती रहती है। अब सरकार पर्मानेंट पर्सनल अकाउंट डिलीशन अनिवार्य कर सकती है। खासकर ऐसे यूजर्स के लिए जो लंबे समय से सोशल मीडिया और अन्य इंटरनेट प्लेटफॉर्म से दूर हैं। अभी तक सामने आई जानकारी की मानें तो जो यूजर पिछले तीन साल से सोशल मीडिया और इंटरनेट प्लेटफॉर्म से दूर हैं तो उनके खिलाफ ये कार्रवाई हो सकती है। ये प्रपोजल डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट का ही पार्ट है जो इस साल अगस्त में लॉ बन गया था। ये यूजर्स के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है और इस पर लगातार कार्रवाई करने का प्लान बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया को लेकर बने इस नियम को ईकॉमर्स कंपनियों, ऑनलाइन मार्केटप्लेस, गेमिंग कंपनियों और सभी सोशल मीडिया कंपनियों पर भी लागू किया सकता है। इससे भारत में नंबर ऑफ यूजर्स का भी आंकड़ा पता चल जाएगा।
सोशल मीडिया पर सरकार की कार्रवाई
भारत सरकार के एक अधिकारी ने जानकारी दी, ‘सोशल मीडिया कंपनियों की तरफ से सरकार को फीडबैक मिले थे। अगर कानून प्रवर्तन एजेंसी इसका आंकड़ा एकत्रित करना चाहती है तो वह तीन साल बाद अकाउंट बंद करके हासिल कर सकती हैं। साथ ही पर्सनल डेटा हासिल करने के लिए अनुमति लेने वाली अवधारणा को भी समाप्त करना चाहिए।’
क्या है सरकार का नया नियम
ड्राफ्ट में कहा गया है कि कुछ पब्लिकली उपलब्ध पर्सनल हेल्थकेयर प्रोफेशनल, क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट, मेडिकल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, हेल्थकेयर प्रोफेशनल, हेल्थ सर्विस और मेंटल हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट का पर्सनल और नॉन पर्सनल डेटा एक्सेस कर पाएं। दरअसल, ये पब्लिक हेल्थ या एविडेंट बेस्ड रिसर्च करने में काफी मदद करेगा। सरकारी इंटीट्यूट और अथॉरिटी भी पब्लिक हेल्थ को देखते हुए इस डेटा का यूज कर पाएंगे। हालांकि इस पर लोगों की राय भी अलग हो सकती है। लेकिन समाजिक सुरक्षा को देखते हुए इस नियम को लाया गया है।